@डीएसबी परिसर में स्किन केयर पर विशेष कार्यशाला का आयोजन.. ★विषय “त्वचा की देखभाल के लिए प्राकृतिक और हस्तनिर्मित पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ तकनीकें… ★रिपोर्ट- (सुनील भारती) “स्टार खबर” नैनीताल..

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@डीएसबी परिसर में स्किन केयर पर विशेष कार्यशाला का आयोजन..

★विषय “त्वचा की देखभाल के लिए प्राकृतिक और हस्तनिर्मित पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ तकनीकें…

★रिपोर्ट- (सुनील भारती) “स्टार खबर” नैनीताल..

नैनीताल/ कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर के विज्ञान के शिक्षकों और छात्र छात्राओं के लिए विशेष कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। सोमवार को तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डीएस रावत ने किया। रसायन विज्ञान विभाग की प्रयोगशाला में आयोजित की जा रही कार्यशाला का विषय “त्वचा की देखभाल के लिए प्राकृतिक और हस्तनिर्मित पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ तकनीकें” रखा गया है।
कार्यशाला में विशेषज्ञ के तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के मैत्त्रेयी कॉलेज की प्रोफेसर हेमा भंडारी को आमंत्रित किया गया है. कार्यशाला के दूसरे दिन प्रोफेसर भंडारी ने दाढ़ी बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले हर्बल व केमिकल फ्री साबुन, हर्बल फेशियल किट, बर्तन और फल सब्ज़ियाँ साफ करने का साबुन, हर्बल लिप बाम बनाना सिखाया।
कुमाऊं विश्वविद्यालय की इनोवेशन एंड इंक्यूबशन सेल, रसायन विज्ञान विभाग और इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस सेल मिलकर कार्यशाला का आयोजन कर रहे हैं।
प्रोफेसर हेमा भंडारी ने प्रतिभागियों को सामान्य रासायनिक क्रियाओं के जरिये नहाने, कपड़े और बर्तन धोने के साबुन बनाने की विधियां सिखाई। उन्होंने कहा कि हमारी स्किन से जुड़े उत्पादों में हानिकारक केमिकल्स होने की आशंका बहुत अधिक होती है। ऐसे में बेहद कम संसाधनों और आसान तारीकों से केमिकल रहित स्किन केयर उत्पाद बनाये जा सकते हैं। ये उत्पाद पूरी तरह प्राकृतिक होंगे और इनमें किसी भी तरह से हानिकारक तत्व भी नहीं होंगे।
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कुलपति डॉक्टर डीएस रावत ने कहा कि कार्यशाला से सीखकर अगर कोई प्रतिभागी नया उत्पाद बनाता है तो उसे विश्वविद्यालय की तरफ से नगद पुरस्कार के साथ ही आगे बढ़ने के लिए हर संभव सहयोग किया जायेगा।
परिसर निदेशक प्रोफेसर नीता बोरा शर्मा ने कार्यशाला के आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं। विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रोफेसर चित्रा पांडे ने कहा कुलपति महोदय की पहल से इस विशेष कार्यशाला का आयोजन हो पा रहा है। उन्होंने बीएससी, एमएससी की छात्र-छात्राओं और शोधार्थियों को ऐसी कार्यशालाओं में ज्यादा से ज्यादा प्रतिभाग करने को कहा. उन्होंने कहा कि इस तरह का शोध और उसके परिणाम आने वाले वक्त की मांग हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैव विविधताओं से भरपूर है. ऐसे में प्रकृति के इस वरदान को आने वाली पीढ़ियों के लिए सकारात्मक तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस दौरान प्रॉक्टर एचसीएस बिष्ट, डॉ. आशीष तिवारी, प्रो. गीता तिवारी, डॉ. पैनी जोशी, डॉ. लज्जा भट्ट, डॉ. रीना सिंह , डॉ. हरिप्रिया पाठक, डॉ. नंदन मेहरा, डॉ. हरदेश शर्मा, डॉ. नवीन पांडे, डॉ. हेम जोशी, डॉ. बीजेन्द्र, डॉ. दलीप, डॉ. ऋचा, प्रो. लता पांडे, प्रो. ऐनजी. साहू, प्रो. शहराज़ अली, डॉ. सुहेल जावेद, डॉ. ललित मोहन, डॉ. गिरीश खर्कवाल, डॉ. दीपशिखा जोशी, आंचल अनेजा, डॉ. आकांक्षा रानी, गरिमा, स्वाति, आभा, मनीषा, योगेश उपस्थित रहे।
एमएससी और बीएससी के छात्र-छात्राओं ने कार्यशाला में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. निधि वर्मा ने किया।