@. होल्यार ★. गई-गई असुर तेरी नार मंदोदरी, सिया मिलन गई.. ★. ओखलकांडा के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र पैजना और अन्य गांव में होली गायन चरम पर है। रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट)”स्टार खबर”

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@. होल्यार

★. गई-गई असुर तेरी नार मंदोदरी, सिया मिलन गई..

★. ओखलकांडा के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र पैजना और अन्य गांव में होली गायन चरम पर है।

रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट)”स्टार खबर”

पजैना ढोलीगांव
ओखलकांडा के पजैना ढोलीगांव के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र डनसीली तल्ली, काण्डा ,कफरौली ,रिखोली पारस, में होली गायन चरम पर है। इस क्षेत्र की खड़ी होली और बैठकी होली अभी भी ब्रज शैली में ही गाई जाती है। पजैना सहित अन्य आठ से दस गांवों में होली का गायन होता है। पजैना ढोलीगांव क्षेत्र के आठ से दस गांवों में होली का गायन होली एकादशी रंग पड़ने के साथ होता है। यूं तो यहां पर शिवरात्रि पर्व के बाद विष्णु पदों का ही गायन होता है। विगत कुछ वर्षों से अधिकांश लोगों के नौकरी या अन्य कार्य से बाहर होने के चलते अब होली एकादशी से ही होली गायन होता है। यहां की होली की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि नशे का पूर्ण बहिष्कार रहता है। नशा करने वालों को होली में प्रवेश नहीं दिया जाता है।

पजैना क्षेत्र की होली के मुख्य होल्यार भीम सिंह बिष्ट और बलबंत सिंह बिष्ट ,गोपाल सिंह बिष्ट, गणेश राम बताते हैं कि अतीत से ही यहां की होली सर्वश्रेष्ठ मानी जाती रही है। यहां पर होली के नाम पर हुड़दंग नहीं होता है। यहां पर परंपरानुसार रामायण, महाभारत, भगवान शिव, गणेश, कृष्ण और पुराणों पर आधारित होली का गायन होता है। आठ से दस गांवों में होल्यार पहुंचते हैं और प्रत्येक आंगन में होली का गायन होता है। इसी तरह बेड़चुला व मां बाराही धाम देवीधुरा में भी होली गायन होता है। आपको बता दें कि ओखलकांडा भीमताल में होली गायन विशेष रहता है और यह होली देखने लायक होती है ।