@हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश ने वनअग्नि विषय पर सरकार को घेरा…. ★धरातल में हर रोज़ कई हैक्टेयर जंगल जलते चले जा रहे हैं, ज़िम्मेदार विभागीय अधिकारी नाकाम साबित :सुमित….. ★रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”….

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@हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश ने वनअग्नि विषय पर सरकार को घेरा….

★धरातल में हर रोज़ कई हैक्टेयर जंगल जलते चले जा रहे हैं, ज़िम्मेदार विभागीय अधिकारी नाकाम साबित :सुमित…..

★रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”….

हल्द्वानी नैनीताल: यह वास्तव में हैरानी का विषय है कि फरवरी में वनों को आग से बचाने की तैयारी के बावजूद अप्रैल माह में तमाम जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। जंगलों में लगी आग ने न महकमे की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि दो माह पूर्व ही महकमे द्वारा जंगलों को आग से बचाने के लिए फायर लाइन कटान के नाम पर लाखों रुपये पानी की तरह बहाने पर भी सवाल उठाए हैं। दो माह के भीतर ही फायर लाइन कटान कार्यों की पोल खुल गई। वहीं हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश ने जारी बयान में कहा है कि उत्तराखण्ड के जंगल कई दिनों से जल रहे हैं, प्रदेश का आपदा प्रबंधन विभाग कहीं नहीं दिखता। इस संबंध में प्रदेश सरकार की उदासीनता साफ दिखाई देती है। सरकार व भाजपा संगठन के लोग केवल बयान तक सीमित रह गए हैं। उन्होंने कहा है कि धरातल में हर रोज़ कई हैक्टेयर जंगल जलते चले जा रहे हैं, ज़िम्मेदार विभागीय अधिकारी नाकाम साबित हो रहे हैं। जंगलों को बचाने के लिए धरातल में कोई ठोस रणनीति दिखाई नहीं देती। सुमित हृदयेश ने कहा हिमालयी क्षेत्र होने के कारण न जाने कितने दुर्लभ वृक्ष, जड़ी-बूटीयां व जंगली जानवर व जंगल से सटे घर,जंगल की आग की भेट चढ़ रहे हैं। हर वर्ष फरवरी माह के बाद जंगलों में आग लगने की घटनाएँ बढ़ने लगी है, लेकिन सरकार की निष्क्रियता के कारण इसकी रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं। जब प्रदेश में वनाग्नि के मामले बढ़ते हैं, तो सरकार द्वारा रोकथाम के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर दी जाती है और जो टोलफ्री नंबर दिया जाता है वो हर समय बंद रहता है जिस कारण इस निष्क्रियता का खामियाजा प्रकृति व जनता को भुगतना पड़ता है। जंगलों में आग लगने की घटनाओं से तापमान में भी निरन्तर वृद्धि हो रही है। विधायक सुमित हृदयेश ने यह भी कहा की राज्य की डबल इंजन सरकार जल्द कोई ठोस कदम उठाए जिससे आगामी गर्मियों के मौसम में जंगलों में लग रही आग पर काबू पाया जा सके तथा इस वनाग्नि से होने वाली वन संपदा के नुकसान व जनहानि की घटनाओं को रोका जा सके।