कोई पत्नी तो कोई मां तो कोई बेटे को लड़ा रहा चुनाव, बस गांव की सत्ता ना छुटे
कई चेहरे ऐसे भी हैं जो हल्द्वानी से अपने गांव में सिर्फ चुनाव लड़ने के लिए पहुंचे
रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर” हल्द्वानी/नैनीताल
ओखलकांडा:
पंचायत चुनाव पर लगी रोक हटने के बाद से गांवों में प्रचार का रंग और तेज हो चुका है। मामला हाई कोर्ट पहुंचने पर कई उम्मीदवारों को लगा था कि शायद आरक्षण की स्थिति बदल सकती है। मगर ऐसा नहीं हुआ। दूसरी तरफ हल्द्वानी से लेकर पर्वतीय क्षेत्र में प्रधान, बीडीसी सदस्य से लेकर जिला पंचायत सदस्य के चुनाव के लिए बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी दावेदारी में जुटे हैं जो किसी भी हाल में गांव की सत्ता से दूर नहीं रहना चाहते। इनमें से बहुतों की सीट महिला आरक्षित हुई तो किसी ने मां तो किसी ने पत्नी के पोस्टर जारी कर दिए। ये एक तरह से पंचायती राजनीति का परिवारवाद ही है। खास बात ये है कई लोग रहते हल्द्वानी दिल्ली सहित अन्य शहरों में हैं, मगर चुनाव के बहाने अब गांव की पगडंडी पर दिखाई देने लगे हैं। इनका ख्वाब शहर में रहकर पंचायत की ‘सरकार’ चलाने का है। नैनीताल जिले में हल्द्वानी, रामनगर, कोटाबाग, भीमताल, ओखलकांडा, धारी और बेतालघाट ब्लाक आते हैं। आठ ब्लाक में प्रधान की 475, क्षेत्र पंचायत सदस्य की 263 और जिला पंचायत सदस्य की 27 सीटों के अलावा आठ प्रमुख भी चुने जाएंगे।इन चारों पदों को लेकर आरक्षण जारी हो चुका है। मगर जिला पंचायत अध्यक्ष को लेकर तस्वीर साफ होना बाकी है। दूसरी तरफ मैदानी से लेकर पर्वतीय गांवों में कई ऐसे चेहरे भी अलग-अलग पदों पर चुनाव लड़ रहे हैं। जो इससे पूर्व स्वयं या परिवार का कोई अन्य सदस्य इससे पहले पद में रह चुका है। किसी नए चेहरे को मौका देने की बजाय “काम किया-काम करेंगे” स्लोगन के साथ कुनबे का कोई सदस्य फिर से चुनाव मैदान में उतर चुका है। इसके अलावा चुनावी माहौल में हाथ जोड़ वोट की अपील करते हुए कई ऐसे चेहरे भी नजर आ रहे हैं जिन्हें हर हाल में पिछले चुनाव की हार का बदला लेना है।