जिला पंचायत चुनाव को लेकर हाईकोर्ट ने पूछा गायब 5 सदस्यों पर क्या हुई कार्रवाई…
निर्वाचन आयोग दे शपथ पत्र के साथ जवाब..क्या जा सकती है 5 सदस्यों की सदस्यता …पढें…
रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”
नैनीताल – नैनीताल जिला पंचायत चुनाव मामले में अब 5 गायब सदस्यों का क्या हुआ इस सवाल उठा है..हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से पूछा है कि इन 5 सदस्यों पर क्या कार्रवाई की गई है क्या इन 5 सदस्यों ने चुनाव अधिकारी को लिखित तौर पर वोटिंग से बाहर रहने का पत्र दिया था.
नैनीताल जिला पंचायत चुनाव मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं,हाईकोर्ट ने अब राज्य निर्वाचन आयोग से शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा है कि क्या कार्रवाई अब तक उनकी ओर से की गई है पूरे चुनाव को लेकर क्या एक्शन लिया क्यों राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन क्यों नहीं किया…कोर्ट ने पूछा है कि जो 5 सदस्य गायब हो गये उन पर क्या एक्शन अब तक लिया है क्योंकि अगर उनको कहीं जाना था तो चुनाव अधिकारी को अपना शपथ पत्र पूर्ण कारण के साथ देना जरुरी था..कोर्ट ने चुनाव आंब्जर्वर का फेल्योर मानते हुए कहा कि जब रिपोर्ट मिली थी तो क्यों चुनाव आयोग क्यों इस पर एक्शन नहीं लिया..आपको बतादें कि 14 अगस्त को जिला पंचायत चुनाव के दौरान 5 सदस्यों को किड़नैप कर लिया गया जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने इसका संज्ञान भी लिया..हांलाकि बाद में एसएसपी ने 5 शपथ पत्र कोर्ट में दाखिल किये और कहा कि ये वोट नहीं देना चाहते हैं..जिसके बाद कांग्रेस की पूनम बिष्ट की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई और पूरे चुनाव में री-वोटिंग की मांग की गई..वहीं पुष्पा नेगी ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर कहा कि पूरे चुनाव में गड़बड़ियां हुई है और उनके सदस्यों को भी उठाकर ले गये हैं..हांलाकि इस मामले की सुनवाई अब हाईकोर्ट में चल रही है और सोमवार तक चुनाव आयोग को पूर्ण रिपोर्ट देनी है…
★. क्या कहते हैं नियम…………..
बता दें कि 14 अगस्त के दिन इन सभी को जिला पंचायत के बाहर से उठा लिया तो इन लोगों के परिजनों ने अपने सामने कोर्ट में अपहरण करने की बात स्वीकार की..वहीं इन 5 सदस्यों ने बाद में वीडियो जारी कर कहा कि उनका तो अपहरण ही नहीं हुआ वो वोट ही नहीं देना चाहते हैं..हांलाकि पंचायती राज एक्ट 2016 की धारा 131एच 2 में स्पष्ट है कि वोट देने से इंकार ही नहीं किया जा सकता है अगर ऐसा करता है को इसी घूसखोरी माना जा सकता है…वहीं री-वोटिंग के लिये भी कुलदीप कुमार समेत कई सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं तो ऐसी स्थिति में उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के विपुल जैन केस में चुनाव रोकने और स्थगित करने के निर्देश भी हैं। वहीं हाईकोर्ट के अधिवक्ता अवतार सिंह रावत कहते हैं कि हाईकोर्ट का आदेश 2019 का स्पष्ट करता है कि ऐसी स्थिति में चुनावों को रोका जा सकता है..साथ ही पंचायती राज एक्ट की धारा 131H में चुनावों को लेकर कई गाइड़लाइन हैं जिसमें वोटिंग को अनिवार्य किया गया है अगर कोई बिना किसी कारण के वोटिंग से दूर रहता है तो उसे घूसखोरी माना जा सकता है और उनकी सदस्यता भी जा सकती है।