@शोधार्थियों द्वारा अपनी शोध परियोजनाओं का सफलतापूर्वक प्रस्तुतीकरण… ★34 शोध परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया.. ★रिपोर्ट- (सुनील भारती) “स्टार खबर ” नैनीताल..

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नैनीताल। कुमाऊँ विश्वविद्यालय में आज आंतरिक शोध परियोजना (केयूआईएफ़आर) के तृतीय चरण के अंतर्गत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संकाय के शोधार्थियों द्वारा वैज्ञानिक एवं तकनीकी समिति के समक्ष अपनी शोध परियोजनाओं का सफलतापूर्वक प्रस्तुतीकरण किया गया। इस चरण में कुल 34 शोध परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया।
यह पहल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दीवान एस. रावत की एक विशेष अनुसंधानोन्मुख योजना है, जिसका उद्देश्य संकाय सदस्यों को शोध परियोजनाओं के माध्यम से सशक्त बनाना है। यह कार्यक्रम शोध एवं विकास प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित किया गया।
मूल्यांकन सत्र की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत ने की। इस अवसर पर भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बंगलूरु के वैज्ञानिक प्रो. पार्थ मंडल, विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. चित्रा पाण्डेय, शोध एवं विकास प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो. एन. जी. साहू, डॉ. मनीषा त्रिपाठी डॉ महेश कुमार तथा डॉ. दीपक कुमार उपस्थित रहे।
कुलपति प्रो. रावत ने अपने संबोधन में कहा कि अब विश्वविद्यालय में शोध कार्यों के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों की कोई कमी नहीं रहेगी और शोध को हर प्रकार की बाधा से मुक्त वातावरण में प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने शोधार्थियों को अभिनव, समाजोपयोगी तथा बहु-विषयक शोध विषयों को अपनाने के लिए प्रेरित किया और उच्चस्तरीय अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशन की दिशा में गंभीर प्रयास करने का आह्वान किया।
प्रो रावत ने कहा कि कि वर्ष 2023 के बाद से विश्वविद्यालय में न केवल शोध प्रकाशनों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, बल्कि उनकी गुणवत्ता में भी निरंतर सुधार देखने को मिला है। संकाय सदस्य शोध कार्यों के प्रति अत्यधिक प्रेरित हैं और यह सकारात्मक रुझान विश्वविद्यालय की अकादमिक साख को सुदृढ़ बना रहा है।
साथ प्रो. रावत ने इस बात पर बल दिया कि योग्य शोधों को पेटेंट कराया जाना चाहिए, जिससे शोधार्थियों को बौद्धिक संपदा अधिकार प्राप्त हों और विश्वविद्यालय की नवाचार क्षमता को वैश्विक मान्यता प्राप्त हो।