नैनीताल। नंदा सुनंदा महोत्सव का शुभारंभ 28 सितंबर से शुरू हुआ था, जिसके बाद मां नंदा सुनंदा की मूर्ति को भक्तों के दर्शन के लिए रखा गया था।शुक्रवार मां नंदा सुनंदा के डोले को भक्तों ने नयना देवी मंदिर से ढोल नगाड़ों के साथ नगर में भ्रमण कराया, जिसमें छोलिया नृत्य, पिथौरागढ़ का मशहूर लखिया भूत लोगो के आकर्षण का मुख्य केंद्र बना रहा।मां नंदा-सुनंदा को कुमाऊं में कुल देवी के रूप में पूजा जाता है। कुमाऊँ के चंद राजाओं के समय में मां नंदा-सुनंदा को कुल देवी के रूप में पूजा जाता था ,जिसको संपूर्ण कुमाऊं और गढ़वाल के लोग मां नंदा-सुनंदा को कुल देवी के रूप में पूजते हैं। माना जाता है मां नंदा और सुनंदा साल में एक बार अपने मायके यानी कुमाऊं आती हैं।
यही वजह है कि अष्टमी को मां नंदा और सुनंदा की प्रतिमा तैयार कर प्राण प्रतिष्ठा की जाती है ,और ऐसा माना जाता है कि मां नंदा-सुनंदा अपने मायके पहुंच गई हैं।
वहीं 28 सितंबर से शुरू हुए मां नंदा-सुनंदा महोत्सव के अंतिम दिन शुक्रवार को हजारों की संख्या में पंगुट,गरमपानी,खैरना,बेतालघाट,भवाली, भीमताल, हल्द्वानी से नैनीताल पहुँचे श्रद्धालुओं
ने नैनी झील में डोला के विसर्जन के बाद मां नंदा-सुनंदा को मायके से विदाई दी।