@ हिमालय दिवस के अवसर पर आयोजित हुई राष्ट्रीय कार्यशाला “सेव टू सिंकिंग हिमालया मूवमेंट”… ★हिमालय को बचाने के अभियान के अंतर्गत हिमालयी सरोकारों से जुड़े विभिन्न हितधारकों द्वारा प्रत्यके वर्ष 09 सितम्बर को हिमालय दिवस का आयोजन किया जाता है….. ★रिपोर्ट – (सुनील भारती ) “स्टार खबर ” नैनीताल…

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@ हिमालय दिवस के अवसर पर आयोजित हुई राष्ट्रीय कार्यशाला “सेव टू सिंकिंग हिमालया मूवमेंट”…

★हिमालय को बचाने के अभियान के अंतर्गत हिमालयी सरोकारों से जुड़े विभिन्न हितधारकों द्वारा प्रत्यके वर्ष 09 सितम्बर को हिमालय दिवस का आयोजन किया जाता है…..

★रिपोर्ट – (सुनील भारती ) “स्टार खबर ” नैनीताल….

नैनीताल आज को हिमालय दिवस के अवसर पर एच0आर0डी0सी0 कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल तथा नौला फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में हिमालयी सरोकारों से जुड़े बुद्धिजीवियों व हितधारकों के सहयोग से एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला “सेव टू सिंकिंग हिमालया मूवमेंट” का आयोजन कुमाऊं विश्वविद्यालय के देवदार सभागार, द हरमिटेज में किया गया।

इस दौरान कार्यक्रम का संचालन डॉ रितेश साह द्वारा किया गया । कायर्शाला का प्रारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसके पश्चात डी0एस0बी0 परिसर, कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के संगीत विभाग द्वारा सरस्वती वंदना, विश्वविद्यालय कुलगीत एवं अतिथियों के स्वागतार्थ स्वागत गीत की प्रस्तुतु दी। इसके बाद नौला फॉउण्डेशन के चेयरमैन प्रेम सिंह बनेशी द्वारा अतिथियों का स्वागत करते हुए सभी अतिथियों का पुष्प गुच्छ एवं बैज अलंकरण से स्वागत किया गया।

प्रथम तकनिकी सत्र के अंतर्गत मुख्य अतिथि पद्म यशोधर मठपाल जी द्वारा ट्रॉमा ऑफ़ लिविंग इन सिंकिंग हिमालयन टाउन शीर्षक से अपने व्याख्यान में कहा कि उत्तराखंड के लिए हिमालय पहाड़ नहीं जीवन का आधार है तथा महाकवि कालिदास का मूलधन उत्तराखंड का कालीमठ है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड भारतीय संस्कृति का केन्द्र तथा धर्म की स्वीकारोक्ति का प्रतिनिधित्व करता रहा है, किंतु आज इस धर्म व संस्कृति पर खतरा मंडरा रहा है। हिमालय की चिंता करते हुऐ उन्होंने कहा कि यदि हमें हिमालय को बचाना है तो हिमालय के प्रति हिमालय जैसी ही विराट सोच पैदा करनी होगी तथा हिमालय दिवस पर कृत संकल्पित होकर हिमालय तथा इसकी मानव जनित समस्याओं के समाधान हेतु नीतियों के निर्माण एवं क्रियान्वयन की पहल करनी होगी। प्रथम सत्र के अन्य वक्ताओं में प्रो आर सी जोशी द्वारा डायरेक्ट हिमालयन ज्योग्राफिकल इम्पैक्ट ऑन इंडिया, प्रो प्रदीप गोस्वामी द्वारा हिमालयन जियोलॉजी – ओरिजिन एन्ड टेक्टोनिक स्टडी, प्रो ललित तिवारी द्वारा रीज़न ऑफ़ सिंकिंग हिमालया, शोभित सहारिया द्वारा टाइम टू इवैल्युएट हिल स्टेशन कैरिंग कैपेसिटी, डॉ बी डी पाटनी द्वारा रोल ऑफ़ हाइड्रो पावर एंड टनलिंग इन सिंकिंग हिमालय, प्रो पी सी तिवारी द्वारा सस्टनैबले अर्बन डेवलॉपमेंट इन हिमालय, दिग्विजय सिंह बिष्ट द्वारा नैनीताल टूरिज्म- रिथिंकिंग टू होल्डिंग कैपेसिटी, सुरेश मठपाल लद्वारा भीमताल टूरिज्म- रिथिंकिंग टू होल्डिंग कैपेसिटी, स्वामी वीट तमसो द्वारा सेव टू सिंकिंग हिमालया मूवमेंट, बिशन सिंह अध्यक्ष नौला फॉउण्डेशन द्वारा कॉल फॉर एक्शन, किशन चंद्र भट्ट निदेशक नौला फॉउण्डेशन द्वारा पहाड़, पानी और परम्परा इत्यादि विभिन्न शीर्षकों से अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्रथम सत्र के समापन अवसर पर कार्यशाला के आयोजक अध्यक्ष प्रो अतुल जोशी ने अपने उद्बोधन में हिमालय के महत्त्व को इंगित करते हुए कहा कि हमारे लिए हिमालय सिर्फ एक प्रहरी ही नहीं बल्कि इसके निवासियों के जीवन और जीविका का सहारा भी है, जिससे स्थानीय निवासी अनेक प्रकार से लाभान्वित होते है। लहिमालय, आदि काल से ही जड़ी बूटियों से लेकर ऋषि मुनियों के ध्यान केंद्र के लिए जाना जाता है तथा यहां से निकलने वाली नदियां आधे भारत को अपने जीवनदाई जल से सिंचित करती है। किन्तु हिमालय से निकलने वाली नदियों पर अनेक बांध बनाये जाने से प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमने हिमालय से सिर्फ लिया ही लिया है जबकि उसके बदले में इसको कभी भी कुछ दिया नहीं हैं, जिस कारण हिमालय को स्वयं तो हानि उठानी ही पड़ी है बल्कि इसका नकारत्मक प्रभाव प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से समस्त मानव जाति पर पड़ रहा है इसी सम्बन्ध में जन जागरूकता फैलाने एवं हिमालय को बचाने के अभियान के अंतर्गत हिमालयी सरोकारों से जुड़े विभिन्न हितधारकों द्वारा प्रत्यके वर्ष 09 सितम्बर को हिमालय दिवस का आयोजन किया जाता है।

 

 


भोजनावकाश के बाद प्रारम्भ हुए द्वितीय तकनीकी सत्र के वक्ताओं द्वारा भी प्रथम सत्र के वक्ताओं की भांति हिमालय में विकास एवं अन्य ज्वलंत विषयों से जुड़े शोध पत्रों व लेखों का प्रस्तुतीकरण किया गया। इस सत्र के मुख्य वक्ताओं में प्रो बहादुर सिंह कोटलिया द्वारा नैनीताल- कैरिंग कैपेसिटी- सिटिंग ऑफ़ डिजास्टर, प्रो चारु चंद्र पंत द्वारा ब्लॉकिंग/कन्सर्टाइज़शन ऑन स्प्रिंग शेड, सुशिल बहुगुणा द्वारा सिंकिंग फीलिंग अक्रॉस उत्तराखंड, श्री हृदयेश जोशी द्वार अनकंट्रोलड कन्सर्टाइज़शन /डिफॉरेस्टेशन, चारु तिवारी द्वारा सेव सिंकिंग हिमालय- टूडेज पर्स्पेक्टिव, डॉ रितेश साह द्वारा ट्रेडिशनल वाटर नॉलेज: रिलिजियस वैल्यूज एन्ड कल्चरल प्रेक्टिसेस, अभिषेक पमेहरा द्वारा टाइम टू प्रिसर्व वाटर ट्रेडिशन इन द हिमालया इत्यादि विषयों पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम को के अंत में डॉ संतोष जोशी द्वारा सभी अतिथियों/आगंतुकों एवं उपस्थित शोध छात्र-छात्रों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सभी का आभार व्यक्त किया गया।
इस राष्ट्रीय कार्यशाला में नौला फाउंडेशन के सदस्यों के साथ डी एस बी परिसर नैनीताल के निदेशक प्रो एल एम जोशी, कुमाऊं विश्वविद्यालय कार्यपरिषद सदस्य डॉ सुरेश डालाकोटी, प्रो एम सी जोशी, डी डी पलडिया, वी सी भंडारी, सुमित , महेंद्र , गगन सिंह सहित विभिन्न विभागों के शिक्षक, कर्मचारी, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।