कुमाऊँ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक की नोबेल विजेता संग शोध साझेदारी ने बढ़ाया भारत का गौरव… रिपोर्ट- (सुनील भारती) “स्टार खबर” नैनीताल…

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कुमाऊँ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक की नोबेल विजेता संग शोध साझेदारी ने बढ़ाया भारत का गौरव…

रिपोर्ट- (सुनील भारती) “स्टार खबर” नैनीताल…

नैनीताल। कुमाऊँ विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक प्रोफेसर नंदा गोपाल साहू ने भारत का नाम एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है। उन्होंने ग्रैफीन के खोजकर्ता और सन 2010 के फिजिक्स के नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर कोस्त्या एस. नोवोसेलोव के साथ मिलकर एक उच्च-स्तरीय रिव्यू पेपर प्रकाशित किया है।
इस रिसर्च पेपर का शीर्षक है — “फंक्शनल नैनोकार्बन्स फ्रॉम वेस्ट प्लास्टिक्स फॉर एनर्जी स्टोरेज एप्लिकेशंस”, जो विश्व-प्रसिद्ध एल्सेवियर पब्लिकेशन के शीर्ष अंतरराष्ट्रीय जर्नल ‘रिन्युएबल एंड सस्टेनेबल एनर्जी रिव्यूज़’ (इम्पैक्ट फैक्टर 16.3) में प्रकाशित हुआ है।
इस महत्वपूर्ण रिव्यू पेपर के लेखक हैं चेतना तिवारी, कुंदन सिंह रावत, यंगनम किम, तनुजा आर्या, सुनील धाली, श्रवेंद्र राणा, दारिया वी. आंद्रेएवा, बारबारोस ओज़यिलमाज़, रेमी महफूज़, नादा क़री, योंग चाए जंग, प्रो. नंदा गोपाल साहू और प्रो. कोस्त्या एस. नोवोसेलोव।
यह स्टडी इस बात पर केंद्रित है कि फेंके गए प्लास्टिक कचरे को एडवांस्ड नैनोकार्बन मटेरियल्स में परिवर्तित कर एनर्जी स्टोरेज डिवाइसेज़ जैसे सुपरकैपेसिटर्स और बैटरियों में कैसे उपयोग किया जा सकता है। इस अध्ययन में ग्लोबल रिसर्च का गहन विश्लेषण करते हुए यह दर्शाया गया है कि प्लास्टिक वेस्ट से बने नैनोमटेरियल्स ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में एक सस्टेनेबल और ईको-फ्रेंडली सॉल्यूशन प्रदान कर सकते हैं।
प्रो. नोवोसेलोव की सहभागिता इस रिव्यू को विशेष महत्व प्रदान करती है, क्योंकि ग्रैफीन और टू-डी मटेरियल्स (2D मटेरियल्स) के क्षेत्र में उनका योगदान ऐतिहासिक माना जाता है। वहीं, प्रो. साहू का यह कार्य भारत की वैज्ञानिक क्षमता और इनोवेशन को वैश्विक स्तर पर स्थापित करता है।
कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिवान एस रावत, कुलसचिव, विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता तथा परिसरों के शिक्षकों ने प्रो. नंदा गोपाल साहू को इस उपलब्धि पर हार्दिक बधाई दी। प्रो. रावत ने इस कहा कि प्रो. साहू का यह योगदान न केवल कुमाऊँ विश्वविद्यालय बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। यह उपलब्धि दर्शाती है कि विज्ञान और नवाचार (साइंस एंड इनोवेशन) के माध्यम से प्लास्टिक प्रदूषण जैसी वैश्विक चुनौती को ऊर्जा समाधान (एनर्जी सॉल्यूशन) में बदला जा सकता है।