अंकिता भंडारी हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग.. नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य बोले – सत्ता-संरक्षित दरिंदगी का उदाहरण है मामला… रिपोर्ट- (सुनील भारती ) “स्टार खबर” नैनीताल..

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हल्द्वानी।
उत्तराखंड की बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने एक बार फिर स्वतंत्र और निष्पक्ष सीबीआई जांच की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि जब सत्ता, पैसा और रसूख का अनैतिक गठजोड़ होता है, तब आम जनता की बेटियां सुरक्षित नहीं रह पातीं।

यशपाल आर्य ने कहा कि भाजपा से जुड़े लोगों के माध्यम से सामने आए नए तथ्यों ने देवभूमि के जनमानस को झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस हत्याकांड में शामिल हत्यारे और इसके कारक सीधे तौर पर भाजपा और सरकार के ताकतवर लोगों से जुड़े थे, इसी कारण अंकिता के परिवार, कांग्रेस और उत्तराखंड की जनता की मांग के बावजूद सीबीआई जांच नहीं कराई गई।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अब यह स्पष्ट हो चुका है कि अंकिता की हत्या न तो कोई दुर्घटना थी और न ही किसी एक व्यक्ति की मानसिक विकृति का मामला। यह सत्ता-संरक्षित दरिंदगी का उदाहरण था, जहां उत्तराखंड की एक बेटी ने अपनी अस्मिता का सौदा करने से इनकार किया और उसे इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

उन्होंने सवाल उठाया कि जो लोग संस्कार, धर्म, मर्यादा और संस्कृति की बात करते हैं, उनके शासनकाल में ही बेटियां सबसे अधिक असुरक्षित क्यों हैं। यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि अंकिता हत्याकांड का मुख्य कारण भाजपा संगठन से जुड़े एक कथित अति विशिष्ट व्यक्ति को ‘स्पेशल सर्विस’ देने का दबाव था, जिसे राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने जांच के दायरे से बाहर रखा।

नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि अब भाजपा जाति का सहारा लेकर उस अति विशिष्ट व्यक्ति का बचाव कर रही है, जबकि अपराध में जाति नहीं बल्कि अपराध देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंकिता हत्याकांड एक विभत्स अपराध है और इसमें संलिप्त सभी दोषियों को मौत से कम सजा नहीं मिलनी चाहिए थी।

यशपाल आर्य ने भाजपा सरकार के कार्यकाल में राज्य में हुई कई जघन्य घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि नैनीताल, लालकुआं, किच्छा, उत्तरकाशी, बागेश्वर, थराली, देहरादून, चम्पावत, मंगलौर, श्रीनगर, द्वाराहाट और बहादराबाद सहित अनेक स्थानों पर मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाएं हुईं, जिनमें कई मामलों में भाजपा नेताओं की संलिप्तता सामने आई।
उन्होंने कहा कि अंकिता का मामला राजनीति से ऊपर इंसानियत का प्रश्न है। अब जब नए सवाल खड़े हो रहे हैं, तो सरकार को चाहिए कि वह इस संवेदनशील मामले को दोबारा खोले और स्वतंत्र व निष्पक्ष सीबीआई जांच के आदेश दे, ताकि अंकिता को न्याय मिल सके।