@. हुक्मरानो हमारी सुनो ,, हम तुम्हारी सुनेंगे कब तक …. ★. सीएम साहब तस्वीर दर्द देती है इस गांव में अभी तक सड़क नहीं पहुंची…… ★. सड़क के अभाव में कई किमी तक ढोए जाते हैं मरीज… रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”

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@. हुक्मरानो हमारी सुनो ,, हम तुम्हारी सुनेंगे कब तक ….

★. सीएम साहब तस्वीर दर्द देती है इस गांव में अभी तक सड़क नहीं पहुंची……

★. सड़क के अभाव में कई किमी तक ढोए जाते हैं मरीज…

  • रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”

भीमताल धारी:- सड़क सुविधा के अभाव में आए दिन मरीजों की जान पर बन आती है । उबड़ खाबड़ रास्तों से फूली सांसों के साथ अपनी बीमार दादी को अस्पताल ले जाने के लिए मोटर मार्ग तक लाए युवा।

शहरों की चकाचौंध से दूर इस विकसित राज्य के मूल निवासियों को आज भी मोटर मार्ग तक पहुंचने के लिए घंटों पैदल चलना पड़ता है। प्रशासन का कहना है कि जल्द मोटर मार्ग बनकर तैयार हो जाएगा।
विश्व विख्यात पर्यटन नगरी नैनीताल से महज 50 से 60 किलोमीटर की दूरी पर कुछ ऐसे गांव हैं जिनका मोटर मार्ग से संपर्क 5 से 10 किलोमीटर चलने के बाद होता है। यही नहीं, उत्तराखण्ड के ऐसे कई गांव हैं जहां आजादी से अबतक मोटर मार्ग ही नहीं बन सका और यह के मरीज, वृद्ध और बच्चे डोलियों में कंधे पर रखकर अपना सफर तय करते हैं। नैनीताल जिले में भीमताल और धारी ब्लॉक के बबियाड, रेतीखान समेत कुछ अन्य गांव के लोग आज भी पाँच से दस किलोमीटर चलकर मुख्य मार्ग तक पहुंचते हैं। इस क्षेत्र में पड़ने वाले गांव के ग्रामीण, विकास से कोसों दूर आज भी एक मात्र सडक के लिए सरकार की तरफ टकटकी लगाए बैठे हैं। गांव की सड़कें, चुनाव आते ही राजनीतिक मुद्दा बन जाती हैं और चुनाव जाते ही इन समस्याओं को भुला दिया जाता है। आजादी से आज तक इस गांव में मोटर मार्ग नहीं पहुंच सका है, जिसका खामियाजा ग्रामीणों को बीमार, दुल्हन, गर्भवती, नवजातों और वृद्धों के साथ राशन को पीठ पर लादकर ले जाकर चुकाना पड़ता है। बताया जा रहा है कि विधायक ने दो किलोमीटर सड़क शुरू कराई, लेकिन काम शुरू होते ही वन विभाग ने नियमों का हवाला देते हुए काम बंद करवा दिया। इसके बाद से अबतक सड़क का काम रुका हुआ ही। इससे पहले भी इस गांव से एक डोली में बीमार महिला को ले जाने की खबर के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी सविन बंसल इस गांव में पहले जिलाधिकारी के रूप में पहुंचे थे। उन्होंने इस मार्च को जिला स्तर से राज्य सेक्टर में ट्रांसफर कर योजना शुरू की थी और वहां के लोगों में उनकी कार्यशैली से बड़ी आस जगी थी। हालांकि, वर्षों बाद मोटर मार्ग आज तक फाइलों में ही दफन है।


ग्रामीण बताते हैं कि इन मार्गों से छात्र छात्राओं को स्कूल पढ़ने के लिए कई किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। खेतों की कच्ची फसल खेत में ही सड़ जाती है, बीमार को डोली में रखकर मुख्य मार्ग तक ले जाया जाता है। आज की घटना में भी मोहनी देवी की अचानक तबीयत खराब हो गई। अपनी जान हथेली में रखकर परिजन और संबंधी उन्हें कंधों में लादकर नजदीकी मोटर मार्ग तक लाए।
उप जिलाधिकारी धारी के एन गोस्वामी बताते हैं कि इन मार्गों को मोटर मार्ग बनाने के लिए कवायद लगभग पूरी हो गई है। अब जल्द यहां एक मोटर मार्ग बनाया जाएगा।