नैनीताल।डीएसबी परिसर, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल
आज डीएसबी परिसर, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल में छात्र क्लब संक्रांति के तत्वावधान में एक अत्यंत संवेदनशील, विचारोत्तेजक एवं कलात्मक नाट्य प्रस्तुति “नाथवती अनाथवत” का मंचन किया गया। इस नाटक की मूल भावना महाभारत के सभा पर्व में द्रौपदी के चीरहरण से उपजी पीड़ा और उसके प्रतिरोध से प्रेरित है। नाटक में भारतीय पौराणिक साहित्य की उन स्त्रियों जैसे अहल्या और सीता के जीवन प्रसंगों को भी सम्मिलित किया गया, जिनकी नियति समाज की संकीर्ण सोच और पुरुषसत्तात्मक व्यवस्था का शिकार बनी।
यह प्रस्तुति नारी की अस्मिता, आत्मबल और सामाजिक स्थिति पर एक गंभीर संवाद प्रस्तुत करती है। मंचन के माध्यम से छात्राओं ने समाज में व्याप्त लिंगभेद, स्त्री की आज़ादी, उसके निर्णय लेने के अधिकार तथा सम्मान की आवश्यकता को प्रभावशाली ढंग से दर्शाया। नाटक ने दर्शकों को भीतर तक झकझोरते हुए यह सोचने पर विवश किया कि सदियों से चली आ रही स्त्रियों की पीड़ा आज भी कई रूपों में जीवित है, और इसे समाप्त करने के लिए केवल सहानुभूति नहीं, अपितु संवेदना और सक्रियता की आवश्यकता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसे परिसर निदेशक प्रो. नीता बोरा शर्मा, क्लब अध्यक्ष डॉ. रीतेश साह, डॉ. हरिप्रिया, डॉ. शशि, डॉ. शिवांगी तथा डॉ. मनोज बिष्ट ने संयुक्त रूप से सम्पन्न किया गया। इसके पश्चात विद्यार्थियों द्वारा देवी स्तुति और मंत्रोच्चार से वातावरण को आध्यात्मिक एवं ऊर्जा से परिपूर्ण कर दिया गया।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रो. नीता बोरा शर्मा ने विद्यार्थियों की इस रचनात्मक प्रस्तुति की प्रशंसा करते हुए कहा कि “नाथवती अनाथवत” केवल एक सांस्कृतिक प्रस्तुति नहीं, बल्कि एक सामाजिक सन्देश है। यह मंचन हमें यह सोचने पर विवश करता है कि हम एक आधुनिक समाज में रहकर भी किन परंपराओं और पूर्वग्रहों से बंधे हुए हैं। छात्राओं की इस कलात्मक अभिव्यक्ति में संवेदना, विद्रोह और समाधान तीनों का समन्वय देखा जा सकता है। ऐसे कार्यक्रम विद्यार्थियों में वैचारिक परिपक्वता, सामाजिक चेतना और आत्मविश्वास का विकास करते हैं, जो किसी भी विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता का संकेत होते हैं।
क्लब अध्यक्ष डॉ. रीतेश साह ने ‘संक्रांति’ क्लब के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ‘संक्रांति’ कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिवान एस. रावत की दूरदर्शी सोच और प्रेरणादायक नेतृत्व में प्रारंभ किया गया एक बहुआयामी छात्र क्लब है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करते हुए उनमें नेतृत्व कौशल, सृजनात्मकता और सामाजिक उत्तरदायित्व का भाव विकसित करना है। उन्होने कही कि इस क्लब की विशेष पहल ‘विमर्श’ नामक मासिक पत्रिका के माध्यम से परिसर की गतिविधियाँ, छात्र-शिक्षक उपलब्धियाँ, रचनात्मक लेख और आगामी कार्यक्रमों की जानकारी साझा की जाएगी। क्लब के माध्यम से अतिथि व्याख्यान, संवाद मंच, नुक्कड़ नाटक, ओपन माइक, कविता पाठ, फोटोग्राफी प्रतियोगिता, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण जागरूकता अभियान आदि गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। इसकी सदस्यता परिसर के सभी नियमित छात्रों के लिए खुली है।
नाटक में ‘संक्रांति’ क्लब के छात्र सदस्यों निकीता तिवारी, सृष्टि राणा, प्रकृति सिंह, दीपक बनवाल, प्रमोद बनवाल, गौरव पांडे, प्रतम टम्टा, अमन कुमार, भावना अधिकारी, आयुष, प्रिंस, निकिता भट्ट, दिव्या बोरा, सृष्टि गोस्वामी, कशिश भारती, अनुष्का पुरी, संजय जोशी, हर्षित जोशी, पूजा आर्य, मोनिका आर्य एवं ऋचा सानवाल ने अभिनय, निर्देशन एवं प्रस्तुति में अपनी रचनात्मक प्रतिभा का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. भूमिका प्रसाद ने अत्यंत कुशलता से किया। इस अवसर पर संकाय सदस्य डॉ रुचि, डॉ सुषमा, डॉ प्रदीप, डॉ पंकज, छात्र प्रतिनिधि, पूर्व छात्र और बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित थे ।
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