देहरादून::
तो अब मामला उस दरवाजे तक पहुंच चुका है, जहां न्याय की आखिरी उम्मीद होती है। उत्तराखंड में पंचायत चुनावों पर लगी रोक को व लेकर अब हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई में होगी। और ये मामूली बात नहीं है इस मामले व की सुनवाई खुद उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश करेंगे।सरकार ने अचानक कोर्ट से गुहार लगाई है कि व पंचायत चुनावों से जुड़ी याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई हो। सवाल उठता है जब चुनाव की अधिसूचना पहले से जारी थी, तो तैयारियों न में पारदर्शिता क्यों नहीं थी? और क्या ये सब कुछ पहले से तय नहीं किया जाना चाहिए था?सरकार की ओर से कोर्ट में पंचायत चुनाव से जुड़ा गजट नोटिफिकेशन भी दाखिल किया गया है। सरकार अब चाहती है कि कोर्ट से उसे हरी झंडी मिले और चुनाव प्रक्रिया शुरू हो सके। लेकिन क्या ये कदम चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता को मजबूत करेगा, या फिर कानूनी दांव-पेच का हिस्सा भर है? फिलहाल कोर्ट के किसी भी निर्णय तक पंचायत चुनावों की प्रक्रिया पर रोक जारी रहेगी। यह वही रोक है जो हाईकोर्ट ने बीते दिवस लगाई थी और आज भी वही सवाल हवा में तैर रहा है कि क्या चुनाव प्रशासनिक व्यवस्था के भरोसे हैं या संवैधानिक समझदारी के? गौरतलब है कि हाल ही में हाईकोर्ट ने पंचायत चुनावों पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि प्रक्रिया में कुछ संवैधानिक व प्रशासनिकज्ञखामियाँ हैं। इसके बाद सरकार अदालत पहुंची एक तरह से लोकतंत्र खुद को साबित करने कोर्ट चला गया।अब यहाँ सवाल यही है कि क्या पंचायत चुनावों की प्रक्रिया राजनीतिक जल्दबाजी की भेंट चढ़ रही है? क्या आम जनता की भागीदारी सिर्फ कागजों में रह गई है? और सबसे अहम सवाल यह कि क्या लोकतंत्र अब अदालत के फैसले पर ही चलेगा?
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