उत्तराखंड में धूमधाम से मनाया हरेला पर्व, लोगों ने किया पौधारोपण… योगराज सिंह ने पर्यावरण संरक्षण में बढ़ाया हाथ लगाए पौधे, उठे पर्यावरण संरक्षण के स्वर… रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”

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उत्तराखंड में धूमधाम से मनाया हरेला पर्व, लोगों ने किया पौधारोपण

योगराज सिंह ने पर्यावरण संरक्षण में बढ़ाया हाथ लगाए पौधे, उठे पर्यावरण संरक्षण के स्वर

रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”

ओखलकांडा/ढोलीगांव

उत्तराखंड की संस्कृति और प्रकृति प्रेम का प्रतीक पर्व हरेला इस बार ढोलीगांव में एक नए जोश और उद्देश्य के साथ मनाया गया। केवल परंपरा नहीं, इस बार हरेला पर्व पर्यावरणीय चेतना और पारिवारिक जुड़ाव का संदेश लेकर आया। ढोलीगांव में आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम में न केवल पौधों का वितरण हुआ, बल्कि उन्हें परिवार के सदस्य की तरह पालने की अनूठी अपील ने सबका ध्यान खींचा। 04 ढोलीगांव से सामाजिक कार्यकर्ता एवं जिला पंचायत सदस्य के लिए निर्दलीय प्रत्याशी योगराज सिंह बिष्ट ने कहा कि हरेला पर्व केवल पौधा रोपने का त्यौहार नहीं है, यह भविष्य बोने का अवसर है। पौधा लगाकर फोटो खिंचवाना काफी नहीं, असली काम उसकी परवरिश है। जिस तरह हम अपने बच्चों को प्यार से बड़ा करते हैं, वैसे ही हर पौधे को पालना ज़रूरी है।” उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि हर साल हरेला पर लाखों पौधे रोपे जाते हैं, लेकिन उनमें से केवल 10 प्रतिशत पौधे ही जीवित रह पाते हैं। इसका मुख्य कारण है देखभाल की कमी और केवल दिखावे का वृक्षारोपण किया जाता है। सामाजिक कार्यकर्ता एवं ढोलीगांव से जिला पंचायत के प्रत्याशी योगराज सिंह बिष्ट ने लोगों से अपील की कि वे अपने परिवार के प्रत्येक सदस्य के नाम पर एक पौधा लगाएं और उसका लालन-पालन उसी तरह करें जैसे अपने बच्चों का करते हैं। यह न केवल पर्यावरण की सेवा होगी, बल्कि नई पीढ़ी को प्रकृति से जोड़ने का एक गहरा मानवीय प्रयास भी होगा। योगराज सिंह ने बताया कि हम हर साल हरेला पर्व पर पौधे लगाते हैं और उनकी देखरेख की भी जिम्मेदारी उठानी होगी। उन्होंने कहा कि केवल पौधे लगाना ही नहीं, बल्कि हर नागरिक को अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए। उन्होने ये भी कहा कि उनके द्वारा हरेला पर्व पर ढोलीगांव ने यह संदेश देने की कोशिश की कि प्रकृति से जुड़ना सिर्फ एक दिन का काम नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की जीवनशैली का हिस्सा होना चाहिए। पौधारोपण कार्यक्रम में उनके साथ कई स्थानीय ग्रामीण मौजूद रहे ।