जिन 250 मकानों को अवैध निर्माण का दिया नोटिस अब प्राधिकरण ने कहा हम नहीं करेंगे फिलहाल कार्रवाई.. क्यों फंस गया जिला विकास प्राधिकरण..पढें इस रिपोर्ट को.. रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर” 

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जिन 250 मकानों को अवैध निर्माण का दिया नोटिस अब प्राधिकरण ने कहा हम नहीं करेंगे फिलहाल कार्रवाई..

क्यों फंस गया जिला विकास प्राधिकरण..पढें इस रिपोर्ट को..

रिपोर्ट (चन्दन सिंह बिष्ट) “स्टार खबर”

नैनीताल – पहले अवैध निर्माण मानकर प्राधिकरण ने नोटिस तो दिये मगर जब कोर्ट में कानूनी पेंच फंसा तो जिला विकास प्राधिकरण ने अपने पांव पिछे खींच लिये..मामला नैनीताल जिले के रामनगर का है..जहां जिला विकास प्राधिकरण ने 250 परिवारों को बेदखली का नोटिस दे दिया..लेकिन जब मामला कोर्ट पहुंचा तो पता चला की सुप्रीम कोर्ट की गाइड़लाइन का पालन खुद जिला विकास प्राधिकरण नहीं किया..जब अधिकारियों पर कोर्ट आदेश का पालन नहीं करने के लिये अवमानना का खतरा बन गया तो कोर्ट को बताया गया कि फिलहाल इन मकानों पर कार्रवाई नहीं करेंगे।

बता दें कि 1986 के बाद बसे रामनगर के पुछड़ी गांव के 250 मकानों का ध्वस्तीकरण फिलहाल नहीं हो सकेगा..जिला विकास प्राधिकरण ने कोर्ट में जानकारी दी है कि बिना सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के पालन करे बगैर वो कोई भी कार्रवाई आगे नहीं करेंगे..हाईकोर्ट ने 15 दिन वाले प्राधिकरण के नोटिस को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना माना है..दरअसल जिला विकास प्राधिकरण के रामनगर के पुछड़ी गांव के मकान दुकानों को ध्वस्तीकरण का 30 जुलाई 2025 को नोटिस दिया और कहा कि 1986 में ये क्षेत्र मास्टर प्लान के तहत हरित या ओपन क्षेत्र रहेगा लिहाजा 15 दिनों के भीतर खुद ही मकानों को ध्वस्त कर लें..जिसको गांव के लोगों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है और कहा कि प्राधिकरण के नोटिस सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के खिलाफ हैं। सुनवाई के दौरान ग्रामीणों के वकील ने कोर्ट में बताया कि नगर नियोजन विकास एक्ट 1973 साफ कहता है कि अगर 10 सालों तक सरकार इस जमीन का अधिग्रहण नहीं कर लेती तो इसे ओपन स्पेश नहीं माना जा सकता है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में तर्क दिया की सुप्रीम कोर्ट ने 2024 और 2025 में देश के सभी प्राधिकरणों और नगर निकायों को गाइडलाइन भेजी है कि सार्वजनिक अतिक्रमण को छोड़कर निजी में नोटिस देने की प्रक्रिया है जिसको डांक द्वारा देने के बाद उस व्यक्ति को भी देना होगा और भवन स्वामी को भी जमीन का पूर्ण विवरण देना होगा,डीएम के कंट्रोल में एक पोर्टल बनाना अनिवार्य है जिसमें पक्ष को सुने बगैर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है..अगर इनका उलंघन हुआ तो कार्रवाई को अवैध माना जा सकता है। जिसके बाद कोर्ट ने प्राधिकरण को कहा कि क्यों ना उनके उप्पर अवमानना की कार्रवाई शुरु कर दी जाए।