- नैनीताल – नैनीताल के बजून दूधिला में एक परिवार का आपदा में सब कुछ खत्म हो गया..लेकिन आपदा को लेकर मुस्तैद नैनीताल प्रशासन सिर्फ कागजों में ही दिखा..घर गौशाला और जानवर सब दब गए मगर आपदा पीड़ितों तक पहुंचने में नैनीताल के जिला प्रशासन को 15 घंटे से ज्यादा लग गए, ये हाल तब है जब राज्य में मुख्यमंत्री आपदा में खुद सड़कों पर दिखाई दिए लेकिन मजाल है कि नैनीताल जिले के अधिकारी आपदा पीड़ितों के घर तक पहुंचे हों.. जब उम्मीद ग्रामीण हार गए तो गावँ के लोग डीएम कार्यालय ही अपनी बात कहने पहुंच गए लेकिन यह भी क्या हुआ इनके साथ पढ़ें इस खबर को…
दरअसल 15 सितंबर की रात से ही नैनीताल में मूसलाधार बारिश हो फही थी इस दौरान बजून के दूधिला तोक को आपदा ने अपनी चपेट में ले लिया, रात में ही यहां आपदा ने ऐसा कहर मचाया की इस तोक का एक घर और गौशाला मलवे की चपेट में आ गया, इस आपदा में जनहानि तो नहीं हुई क्योंकि लोग यहां से भाग गए लेकिन मकान के साथ गौशाला में बंधी 2 भैंस, 2 गाय 1 घोड़ा समेत कई पशु दब गए..इसके साथ मकान जमीदोज हो गया तो पूरी जमीन में पहाड़ी से गिरे मलवे में खेती दब गई..इसकी सूचना मिलने के बाद स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और प्रशासन के अधिकारियों को सूचना दी गयी..हालांकि कई घंटों बाद खुली नैनीताल प्रशासन की नींद के बाद कुछ अधिकारी पहुंचे जरूर लेकिन सड़क से ही आपदा क्षेत्र का मुआयना कर लौट गए, किसी ने जहमत नहीं उठाई की जिस स्थान पर मकान और जानवर दबे हैं वहां तक जाएं और पूरी जानकारी जुटाएं, सड़क से ही लौटे एसडीएम नैनीताल से ग्रामीणों में इस कदर गुस्सा था कि वो अपना दर्द बयां करने नैनीताल डीएम ऑफिस घेराव करने आ गए..
क्या हुआ डीएम ऑफिस में इन ग्रामीणों के साथ…

दरअसल जब गावँ के आपदा पीड़ित तक राहत टीम नहीं पहुंच सकी तो तो इलाके के ग्रामीण एकत्र होकर नैनीताल डीएम ऑफिस का घेराव करने पहुंच गए, लेकिन यहां भी डीएम से मुलाकात नहीं हो सकी तो एसडीएम के ऑफिस में इन ग्रामीणों ने नाराजगी व्यक्त की और जमकर एसडीएम पर बरसते रहे। हालांकि इसके बाद डीएम नैनीताल ने इनको कैंप कार्यालय बुलाया और इनसे बातचीत की, ग्रामीणों ने इस दौरान नैनीताल प्रशासन पर अपनी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि उनके कोही अधिकारी पीड़ित परिवार के आवास जो आपदा में दब गया वहां तक नहीं आया और सड़क से देखकर वापस लौट गया, ग्रामीण इतने गुस्से में रहे कि आपदा से ज्यादा अधिकारियों पर उनका गुस्सा बरसा और बातचीत कर ये सब वापस लौट गए। इस दौरान जिला पंचायत उपाध्यक्ष देवकी बिष्ट जो इसी क्षेत्र से थी उन्हौने कहा कि आपदा पीड़ित तक नहीं आना चिंता का विषय है और उन्हौने मांग की है कि पीड़ित परिवार को न्याय मील और आपदा का मुआवजा, वहीं गावँ के ही एक युवा ने कहा कि कोई अधिकारी या तक नहीं पहुंचा जिसके चलते उनको यहां तक आना पड़ा और अपनी बात रखनी पड़ी क्योंकि रात में आआई आपदा के बाद दिन 3 बजे तक कोई अधिकारी नहीं आया, वहीं पूर्व प्रधान व राज्य आंदोलनकारी जिला अध्यक्ष गणेश सिंह ने कहा कि ऐसा देखने के लिए काम से कम राज्य का निर्माण नहीं किया गया क्योंकि आपदा आने के कई घंटे तक कोई अधिकारी का नहीं पहुंचना गंभीर है इसी लिए डीएम ऑफिस आना पड़ा जबकि उनके क्षेत्र में आपदा है,गणेश सिंह ने कहा कि उन्हौने लोगों को रोका है और जिस कदर आक्रोश है उसको संभालना मुश्किल है।
पहले भी दी गयी थी सूचना की हो सकती है अनहोनी..
जो घटना बजून में हुई ऐसा नहीं है कि इसकी खबर प्रशासन को पहले से ना हो, स्थनीय लोगों ने नैनीताल प्रशासन को पहले ही इसके लिए आगाह किया था और बताया था कि 5 परिवार खतरे की जद में हैं। लेकिन नैनीताल प्रशासन ने इनको विस्थापन के लिए कोई कार्रवाई नहीं कि जिसके चलते इनको आपदा जैसा संकट झेलना पड़ा है। बजून के स्थानीय गोविंद राणा कहते हैं कि कई बार इसकी सूचना प्रशासन को अलग अलग माध्यमों से दी गयी थी मगर सभी ने अनसुनी की है आज ये हादसा हुआ है तो जिम्मेदार प्रशासन भी है। गोविंद राणा कहते हैं कि पूरा मालवा कई सालों से यहाँ आ रहा था मगर इसको लोक निर्माण विभाग ने कहीं और डालने के बजाय नीचे इन घरों की तरफ डाल दिया जो आपदा के कारण बना है। वहीं नैनीताल एसडीएम नवाजिश खलीक ने कहा कि टीम को शाम को फिर भेजा गया है और मुआवजा परिवार को दे दिया गया है साथ ही सर्वे भी भूगर्भीय वैज्ञानिकों से किया जा रहा है जो मलवे की दिक्कतें हैं उसको भी जल्द डंपिंग जोन में डाला गया है..