न्यायायिक प्रक्रिया के समानांतर मीडिया ट्रायल एजेंडा चलाये जाना लोकतंत्र के हित में नही..चीफ़ जस्टिस ऑफ इंडिया

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देश के चीफ जस्टिस एन.वी.रमना झारखंड की राजधानी रांची में नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ द्वारा आयोजित “जस्ट ऑफ़ ए जज” पर ‘जस्टिस एस बी सिन्हा मेमोरियल लेक्चर’ का उद्घाटन करने पहुंचे।

हाल के दिनों में जजों पर शारीरिक हमले बढ़े हैं..चीफ जस्टिस

चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि हाल के दिनों में जजों पर शारीरिक हमले बढ़े हैं। जजों को उसी समाज में बिना सुरक्षा या सुरक्षा के वायदे के रहना होता है, जिसमें उनके द्वारा दोषी ठहराए गए लोग रहते हैं।

देश में रिटायर होने के बाद भी राजनेताओं, नौकरशाहों को तो मिलती है सुरक्षा..लेकिन रिटायर्ड जजों को नही…

चीफ जस्टिस ने कहा कि राजनेताओं, नौकरशाहों, पुलिस अधिकारियों और अन्य जन प्रतिनिधियों को अक्सर सुरक्षा दी जाती है।ये सभी रिटायर हो जाते हैं फिर भी सुरक्षा दी जाती है।उन्होंने कहा कि विडंबना यह है कि जजों को समान सुरक्षा नहीं दी जाती है।

‘मीडिया कंगारू कोर्ट लगा रहा है’-मुख्य न्यायाधीश…

हर मामले में देश का प्रमुख मीडिया घराने मंच सजाकर मीडिया ट्रायल शुरू कर दे रहे हैं।इस तरह मीडिया कंगारू कोर्ट एजेंडा चला रहा है। इस वजह से कभी-कभी अनुभवी जजों को भी किसी खास मसले पर फैसला करना मुश्किल हो जाता है।चीफ जस्टिस ने कहा कि न्याय से जुड़े मुद्दों पर गलत सूचना और एजेंडा चलाना स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।

उन्होंने कहा कि ‘प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से ज्यादा जिम्मेदार’…

मीडिया पर सवाल खड़े करते हुए जस्टिस रमना ने कहा कि अपनी जिम्मेदारियों से आगे बढ़कर मीडिया हमारे लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहा है। प्रिंट मीडिया की तारीफ़ करते हुए जस्टिस रमना ने कहा कि प्रिंट मीडिया में अभी भी कुछ हद तक जवाबदेही है। जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कोई जवाबदेही नजर नहीं आती है।