अमेरिकन रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडाणी ग्रुप के शेयर्स में हो रही भारी गिरावट..अडाणी ने राष्ट्र पर हमला बताया…

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हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद लाला की संपत्ति में 36.1अरब डॉलर की कमी आयी है।क्या देश का इन्वेस्टर अडाणी ग्रुप की “राष्ट्र पर हमला” कहने से उनकी कुछ मदद कर पायेगा…?

अमेरिकन रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग द्वारा अडाणी ग्रुप की वित्तीय अनियमितताओं की रिपोर्ट के बाद से ही हड़कंप मचा हुआ है।इस रिपोर्ट के बाद से ही लगातार अडाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की जा रही हैं।यह बात दीगर है कि गौतम अडाणी को भारत में राजनीतिक वरदहस्त मिला हुआ है।तभी अडाणी ग्रुप द्वारा जारी एफ.पी.ओ पर बाज़ार मूल्य से ज्यादा पर भारतीय एल.आई.सी व स्टेट बैंक जैसे निवेशक खरीद कर अपना धन इन्वेस्ट कर रहे हैं।जबकि सामान्य परिस्थितियों में देश का कोई भी बैंक या निवेशक किसी कंपनी के शेयर्स को बाज़ार मूल्य से अधिक मूल्यों में नही खरीदता है।
आपको बता दें कि अमेरिकन शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने विगत 25 जनवरी को 106 पन्नों की एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें अदाणी समूह पर कई गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए गए थे।उसके बाद से ही अडाणी ग्रुप के शेयर औंधे मुंह गिरने शुरू हो गए थे।शेयर्स में इस भारी गिरावट के बाद हालांकि गौतम अडाणी ने पहले अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए इस रिपोर्ट को गलत बताया था और हिंडनबर्ग के ख़िलाफ़ कोर्ट जाने की बात भी कही थी।लेकिन लगता है कि हिंडनबर्ग द्वारा उनके कोर्ट जाने के फैसले के स्वागत के बाद अडाणी ग्रुप संबंध में कुछ ढीला पड़ गया।लेकिन उक्त रिपोर्ट को गलत साबित करने के लिए अडाणी ग्रुप ने 413 पन्नों में अपनी प्रतिक्रिया दी है।अडाणी ग्रुप ने अपने जवाब में कहा है कि ये भारत देश, उसके संस्थान और विकास की कहानी पर सोच-समझकर किया गया हमला है। अडाणी ग्रुप की ओर से यह भी कहा गया कि हिंडनबर्ग ने यह रिपोर्ट ऐसे समय पर जारी की है। जब देश के सबसे बड़े एफ.पी.ओ की घोषणा की गई। अडाणी ग्रुप ने दावा किया है कि ग्रुप को बदनाम करने के लिए हिंडनबर्ग ने गलत सूचनाओं का उपयोग किया है।जिस पर शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने इस मामले में फिर से अपनी प्रतिक्रिया दी है।

धोखाधड़ी को राष्ट्रवाद या उसमें लिपटी प्रतिक्रिया से प्रभावित नहीं किया जा सकता -हिंडनबर्ग

अमेरिकन रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने कहा कि अडाणी ग्रुप ने जितने भी सवालों के जवाब दिए वे बड़े पैमाने पर निष्कर्षों की पुष्टि नहीं करते।हिंडनबर्ग ने आगे कहा कि राष्ट्रवाद की आड़ में धोखे से नहीं बचा जा सकता है। वह मानता है कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र और एक रोमांचक भविष्य के साथ एक उभरती हुई महाशक्ति है। पर यह अडाणी समूह ही इसके विकास की गाथा को बाधित कर रहा है। हिंडनबर्ग ने अदाणी समूह के इस आरोप को भी खारिज कर दिया है कि उसकी रिपोर्ट भारत पर हमला है। हिंडनबर्ग ने कहा है कि ‘धोखाधड़ी’ को राष्ट्रवाद या उसमें लिपटी प्रतिक्रिया से प्रभावित नहीं किया जा सकता है।

स्टार ख़बर की संबंध में पड़ताल…

कुलमिलाकर यदि अडाणी ग्रुप को एक अमेरिकन शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग द्वारा जारी रिपोर्ट पर कोई आपत्ति थी या हिंडनबर्ग ने गलत तथ्यों की बिनाह पर यह रिपोर्ट तैयार की थी तो विश्व की तीसरे नंबर की कंपनी जो कि इस रिपोर्ट के बाद सातवें नंबर की कंपनी बन गई।और अब तो अडाणी विश्व के टॉप टेन की लिस्ट से भी बाहर हो गए हैं।अब उनका वैश्विक स्थान 11 वां व अम्बानी का 12 वां है।अब उनकी कुल संपत्ति 84.21 अरब डॉलर रह गई है।एक झटके में उनकी संपत्ति 36.1अरब डॉलर घट गई है। अगर अडाणी ग्रुप ने अपनी कंपनी के लिए वित्तीय संसाधन सही तरीके से जुटाए हैं व उनकी कंपनी मामले में पाक-साफ हैं तो उन्हें इस रिपोर्ट के खिलाफ कोर्ट जाना चाहिए था।न कि राजनेताओं सरीखे बयान जारी कर केवल राष्ट्र विरोधी गतिविधि बता कर मामले में पर्दा डालना चाहिए था।हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि विदेशों में बैठे अपने आक़ाओं के जरिये शेयर्स के मूल्य लगातार ऊँचा कर फण्ड जुटाना क्या जायज़ है..? हिंडनबर्ग ने अडाणी ग्रुप की जबरदस्त बढ़ोत्तरी कर रही कंपनियों की पोल खोल कर रख दी है। क्या..देश की अवाम को यह जानने का अधिकार नही है..? कि देश में तेजी से बढ़ती कंपनियां कैसे अपने वित्तीय संसाधन जुटाती हैं।जबकि समकक्ष कंपनियों से उनके शेयर्स का मूल्य 85 फ़ीसदी तक ज्यादा है।और हद तो तब हो गई जब अडाणी ग्रुप ने शेयर्स को बढ़े हुए मूल्यों पर बैंक में गिरवी रख दिया। अब तो आने वाला समय ही बताएगा कि अडाणी ग्रुप कैसे इस विपत्ति से बाहर आने का रास्ता खोज पायेगा..?