उत्तराखंड में पुलों की हालत खस्ता..सेफ्टी ऑडिट में हुआ खुलासा…

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उत्तराखंड में बारिश के दिनों में खुल गई असुरक्षित पुलों की पोल..तंत्र नही लेता संज्ञान..सेफ्टी ऑडिट में हुआ खुलासा…

 वर्ष 2022 में गुजरात के मोरबी पुल  हादसे के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी प्रदेश में जर्जर हो चुके पुलों के सर्वे के लिए आदेश किये थे किंतु 9 माह बाद ऐसे पुलों की रिपोर्ट का आना ,अपनेआप मे ही बड़ा सवाल है..?।वैसे बारिश के दिनों में पहाड़ों पर हो रहे भूस्खलन और नदियों में बह कर आ रही भारी तबाही का बड़ा असर भी पुलों पर पड़ता है ।आपको बता दें कि कोटद्वार की मालन नदी पर बना बड़ा पुल टूटने के बाद  प्रदेश के सभी पुलों का आँकलन कराए जाने के सवाल उठे थे।सरकार द्वारा करवाये इस सेफ्टी ऑडिट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।इस सेफ्टी ऑडिट में प्रदेश के 75 पुल खतरनाक व असुरक्षित पाए गए हैं।सरकार ने लोक निर्माण विभाग के सभी डिवीजनों को तुरंत ही ज्यादा ख़राब स्थिति में आ गए इन 36 खतरनाक पुलों पर तत्काल ट्रैफिक रोकने के निर्देश दिए हैं।तथा कुछ अन्य पुलों को सुरक्षित बनाने के लिए विभाग से प्रस्ताव भी माँगे हैं।ज्ञात रहे कि भारी बारिश तो इसका एक कारण है ही साथ ही कभी इन दुर्गम पुलों की ओर सरकार का ध्यान न जाना और उनकी मरम्मत के लिए कोई सर्वे न किया जाना होता है।मुख्यमंत्री धामी ने 9 माह  पहले  जर्जर हो रहे 436 झूला पुलों का भी जिक्र किया था।क्योंकि पहाड़ों  को आपस में जोड़ने के लिए आज भी झूला पुल ही एकमात्र साधन होते हैं।

ख़राब हालात पुलों में पौड़ी जिला प्रथम व राजधानी दूसरे नंबर पर..नैनीताल जिले के भी दो पुल हैं असुरक्षित…

उत्तराखंड में हुए इस सेफ्टी ऑडिट में सबसे अधिक असुरक्षित पुल पौड़ी जिले में बताए गए हैं।जिनकी संख्या करीब 15 हैं।ऐसे असुरक्षित पुलों की संख्या में राजधानी देहरादून के 13 पुल व चमोली में 09,टिहरी में 07,उत्तरकाशी में 06,हरिद्वार में 06,उधम सिंह नगर में 05,अल्मोड़ा में 04,पिथौरागढ़ में 03,नैनीताल में 02 व रुद्रप्रयाग,बागेश्वर में एक-एक हैं।यहाँ बड़ा सवाल यह है कि जब प्रदेश में राजधानी क्षेत्र के इर्दगिर्द जर्जर पुलों की संख्या इतनी अधिक है तो राज्य के अन्य क्षेत्रों के पुलों पर सरकार की निगाह पड़ जाए क्या यह मुमकिन है..?क्या यह सरकार की व्यवस्था की चूक नही है..?