फाइनेंस के क्षेत्र में कार्यरत “इंडिया बुल्स” और उनकी सहयोगी कंपनियों के निदेशकों ने जाली दस्तावेज बना कर किया बड़ा आर्थिक घोटाला…

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इंडिया बुल्स और उनकी सहयोगी कंपनियों के निदेशकों ने जाली दस्तावेज बना कर किया बड़ा आर्थिक घोटाला.. शिप्रा मॉल समूह के साथ की बड़ी धोखाधड़ी..साकेत बहुगुणा का नाम सामने आने से गरमाई उत्तराखंड की राजनीति…

उत्तरप्रदेश के महानगर गाज़ियाबाद के इंदिरापुरम पुलिस स्टेशन में हाउसिंग फाइनेंस करने वाली देश की जानी-मानी कंपनी “इंडिया बुल” समेत तीन अन्य कंपनियों के 18 निदेशकों पर एफ.आई.आर दर्ज की गई है।इनके खिलाफ गाजियाबाद के मशहूर शिप्रा समूह ने धोखाधड़ी कर संपत्ति खुर्द-बुर्द किये जाने की रिपोर्ट दर्ज करवाई है।इंडिया बुल्स के साकेत बहुगुणा उत्तराखंड के पूर्व सी.एम व वरिष्ठ भाजपा नेता के बेटे हैं।जिन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते 2016 में काँग्रेस ने 6 साल के लिए निष्काषित कर दिया था।उन्होंने टिहरी लोकसभा उपचुनाव काँग्रेस के टिकट पर ही लड़ा था जिस पर उन्हें हार का मुहँ देखना पड़ा था।

कोर्ट के आदेश के बाद इंडिया बुल्स व तीन सहयोगियों के ख़िलाफ़ दर्ज हुई एफ.आई.आर…

आपको बता दें कि शिप्रा समूह ने एफ.आई.आर दर्ज कर आरोप लगाया है कि अमुक कंपनियों के निदेशकों ने मिलकर उनके साथ करीब 6,000 करोड रुपए की धोखाधड़ी की है।शिप्रा समूह के अमित वालिया की ओर से यह एफ.आई.आर दर्ज करवाई गई है जिस पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के आदेश सी.आर.पी.सी की धारा 156 (3) के तहत पुलिस को एफ.आई.आर दर्ज करने के लिए आदेशित किया गया।जिस पर गाज़ियाबाद पुलिस ने 18 आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी, जान से मारने की धमकी देने, अवैध रूप से घुसपैठ करने, मारपीट करने, फर्जी दस्तावेज तैयार करने और भरोसा तोड़ने जैसे संगीन आरोपों में मुकदमा दर्ज किया है। इन सभी पर आई.पी.सी की धारा 420,467,468,471, 323, 504 और 120B के तहत अपराधिक मामले दर्ज किये गये है।

“इंडिया बुल्स” ने सोची समझी साजिश के तहत ठग लिया शिप्रा ग्रुप को..- अमित वालिया…

शिप्रा ग्रुप के अमित वालिया की ओर से दर्ज करवाई गई एफ.आई.आर में बताया गया है कि उनके समूह की कंपनियां शिप्रा एस्टेट लिमिटेड, शिप्रा लीजिंग प्राइवेट लिमिटेड, शिप्रा होटल्स लिमिटेड और कदम ग्रुप मिलकर इंटीग्रेटेड टाउनशिप, मॉल, मल्टीप्लेक्स, होटल और तमाम दूसरी रियल एस्टेट कारोबार गाजियाबाद समेत पूरे दिल्ली-एनसीआर में करती हैं।अमित वालिया ने कहा कि भरोसे की आड़ में उन्हें ठगा गया।उन्हें इंडिया बुल द्वारा 1,939 करोड़ रुपये शिप्रा ग्रुप को प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए देने के अनुबंध किया गया पर केवल 866.88 करोड़ रुपए ही उन्हें दिए गए।अमित वालिया ने आरोप लगाया है, “इंडिया बुल्स के प्रतिनिधियों ने हमें कहा कि उनके पास समीर गहलोत, गगन बांगा और साकेत बहुगुणा का निर्देश है कि भुगतान प्राप्त करने पर भी ऋण खातों को बंद नहीं किया जाएगा। इसके बजाय एक तरफा कार्यवाही करके संपत्तियों को बेचा जाएगा। सभी प्रोपर्टी पर कब्जा कर लिया जाएगा। अंततः 30 मई 2021 को इंडिया बुल्स की मांगों के मुताबिक सेक्टर-128 वाली जमीन को बेचने की सहमति बनी।जिसे डी.एल.एफ हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड यह जमीन 1,250 करोड़ रुपए में खरीदने के लिए तैयार हो गई। इंडिया बुल्स ने सभी ऋण समझौते करके विवादों को खत्म करने की सहमति तो दी थी इसके बावजूद आरोपियों ने अवैध रूप से और मनमाने ढंग से गिरवी रखे गए शेयरों को एम3एम समूह की कंपनी फाइनल स्टेप प्राइवेट लिमिटेड को 900 करोड़ रुपए में बेच दिया।

धोखाधड़ी मामले में इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड व एम3एम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के इन अधिकारियों पर दर्ज हुई एफ.आई.आर..साकेत बहुगुणा भी धोखाधड़ी मामले में नामित…

इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के पूर्व चेयरमैन समीर गहलोत,वाइस चेयरमैन एम.डी गगन बाँगा, इंडिया बुल के साकेत बहुगुणा, अश्विनी ओम प्रकाश कुमार हुड्डा,राजीव गांधी,जितेश मोर,राकेश भगत,आशीष जैन, तथा एम3एम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के रूप कुमार बंसल,बसंत बंसल,पंकज बंसल, विवेक सिंघल,अनीता ठाकुर,सुनील कुमार जैन,मनोज,रविंद्र सिंह,अजय शर्मा व रशेष चंद्रकांत शाह आदि पर एफ.आई.आर दर्ज की गई है।इन पर आरोप है कि इंडिया बुल्स और उनकी सहयोगी कंपनियों के निदेशकों ने जाली दस्तावेज बना कर यह दिखाने की कोशिश की गई है कि शिप्रा समूह को 1,686 करोड़ रुपए दिए हैं। वास्तव में उन्हें केवल 866.88 करोड़ रुपए दिए गए हैं।उक्त आरोपियों ने शिप्रा ग्रुप को 1,738 करोड़ रुपए केवल 7 दिन में वापस देने का नोटिस भेज दिया। इनका मकसद शिप्रा समूह की नोएडा के सेक्टर-128 में स्थित 73 एकड़ जमीन हड़पना था। इसी कारण 7 दिनों में पूरा पैसा लौटाने का दबाव बनाया गया।जिसके लिए इंडिया बुल्स के प्रतिनिधियों ने एम3एम के बसंत बंसल को इसकी एवज में 300 करोड़ रुपए नकद गैरकानूनी तरीके से भी दिए हैं।