उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में 17 दिनों से फँसे 41 मजदूरों तक पहुँची रेस्क्यू टीम..जल्द ही सभी श्रमिकों को बाहर निकाला जाएगा..-मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

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उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में 41 जिंदगियां पिछले 17 दिनों से अटकी रही..रेस्क्यू टीम पहुँची टनल के अंदर..जल्द खत्म होगा ऑपरेशन…

उत्तराखंड की पहाड़ियाँ उतनी मज़बूत नही हैं जितनी कि हिमांचल प्रदेश व जम्मू-कश्मीर व लेह लद्दाख के पहाड़ की चट्टानें हैं।यहाँ पर टनल्स को बनाये जाने बहुत ख़तरनाक साबित हो रहा है।जोशीमठ के नीचे टनल बनाये जाने से ही आज पूरा जोशीमठ दरक रहा है।वर्ष 2021 में उत्तराखंड में ऋषि गंगा हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट उत्तराखंड के रैणी गाँव में था वहीं उसका जलग्रहण क्षेत्र यानी कैचमेंट एरिया भी था।ऊपर पहाड़ों से आये हिमस्खलन ने रैणी गाँव क्षेत्र से जल सीमा को तोड़ कर तपोवन प्रोजेक्ट की टनल में भारी तबाही मचाई।पिछली सरकारों के समय कई विद्युत परियोजनाओं को पूर्णतया बंद करने का निर्णय लिया गया।देश की सर्वोच्च अदालत भी अब इस विकास रूपी बताए जा रहे महाविनाश पर पूरी चुप्पी साधे है।उत्तराखंड का यह दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि एक तरफ़ तो यहाँ पहाड़ मज़बूत नही हैं उस पर अतिविकास किया जाना बार-बार तबाही को निमंत्रण दे रहा है।दूसरा रोजगार की तलाश में स्थानीय जनता दूसरे प्रदेशों या मैदानी क्षेत्रों में लगातार पलायन कर रही हैं।यदि आमजन के पलायन को रोकने की जुगत में यह विकास थोपा जा रहा है तो इसे सदैव अनुचित ही कहा जायेगा क्योंकि स्थानीय निवासियों,मजदूरों व अन्य लोगों की जिंदगियों को दावँ पर लगाया जाना न्यायोचित नही होगा…

रेस्क्यू टीम पहुँच गई टनल में फंसे मजदूरों तक..एम्बुलेंस व एयर एंबुलेंस भी टनल के बाहर तैनात…

यहाँ बड़ा सवाल यह उठता है कि क्यों चार धाम यात्रा मार्ग को अतिविकसित कर अधिक से अधिक देशवासियों को दूरस्थ पहाड़ों पर चढ़ाया जा रहा है..?दूसरी तरफ़ हम पिघलते ग्लेशियरों पर चिंता भी व्यक्त करते हैं।यह दोहरे मापक क्यों..?इन अनियमित विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में बुद्धिजीवियों व समाजसेवी संगठनों को भी इस पर गहन चिंतन करना होगा।उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में 41 जिंदगियां पिछले 17 दिनों से अटकी रहना,पहाड़ों में टनलों को बनाये जाने पर प्रश्न खड़े करता है।17 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद बमुश्किल रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया जा सका।
कुलमिलाकर भारतीय मीडिया द्वारा राज्य व केंद्र सरकार के समर्थन में “जल्द खत्म होगा सिलक्यारा टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन” की खबरें पहले दिन से ही चलाई जा रही हैं।जबकि लोकतंत्र में मीडिया को भी निष्पक्ष खबरें जनहित में प्रसारित करनी चाहिए।क्या ये संबंध में विश्वगुरु की कार्यशैली की पूरी तरह से नाकामी नही है…?