विकास की खोखली गति देख रहा उत्तराखंड..तैयार हो चुके सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर्स व स्टाफ़ की नियुक्ति नही..हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को दिया कड़ा आदेश…

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राज्य सरकार के समग्र विकास के दावे झूठे..डेढ़ साल से बने हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर स्टाफ़ की तैनाती नही..मामले में हाई कोर्ट का कड़ा रुख…

उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार में विकास के बड़े-बड़े कितने ही दावे किये जाते हो पर हक़ीक़त में हालात कुछ अलग ही हैं।वर्ष 2014 में जब उत्तराखंड में काँग्रेस की सरकार थी तब तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी, सीनियर कैबिनेट मंत्री इंदिरा हृदेश व हरीश दुर्गापाल ने हल्दूचौड़ में 30 बिस्तरों के एक अस्पताल का शिलान्यास किया था।उनका मानना था कि कम से कम समय में स्थानीय जनता को ईलाज मयस्सर हो सकेगा।लगभग 8 करोड़ की लागत से इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को बनाये जाने के लिए बज़ट भी वर्ष 2016 में जारी कर निर्माण आरंभ कर दिया गया।वर्ष 2017 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और भाजपा ने सरकार बनायी।अब जबकि डेढ़ वर्ष पूर्व इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है।फिर भी राज्य सरकार सृजित पदों पर नियुक्तियाँ करने को तैयार नही है।स्थानीय निवासियों में भी निर्मित हो चुके इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को सुचारू रूप से न चलाये जाने पर नाराजगी है।

आपको बता दें कि उक्त जनहित के मामले को लेकर समाजसेवी व आर.टी.आई एक्टिविस्ट हेमंत गौनिया व गोविंद बल्लभ भट्ट ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी।जिस पर हाई कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के बाद राज्य सरकार ने जुलाई 2023 में सृजित पदों की जानकारी कोर्ट को दी। कल हुई सुनवाई में उच्च न्यायालय नैनीताल ने सख्त रुख अपनाते हुए उत्तराखंड सरकार को 3 माह में भीतर सभी पदों पर जल्द नियुक्तियाँ किये जाने का कड़ा आदेश दिया है।तथा इसकी प्रगति रिपोर्ट भी मार्च 2024 तक कोर्ट ने मांगी है।

तीन माह के भीतर करें सृजित पदों पर नियुक्तियाँ..मार्च 2024 में देनी होगी प्रगति रिपोर्ट..-हाई कोर्ट नैनीताल…

हाई कोर्ट के एडवोकेट मनीष लोहनी ने बताया कि मामले पर राज्य सरकार द्वारा लगातार अवहेलना किये जाने पर इसे हाई कोर्ट के संज्ञान में जनहित याचिका के रूप में लाया गया।जिस पर कल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ा आदेश जारी कर तीन माह के भीतर ही डॉक्टर्स व स्टाफ़ सहित सभी पदों पर नियुक्ति किये जाने का आदेश जारी किया है।तथा राज्य सरकार को तीन माह के भीतर कोर्ट को प्रगति रिपोर्ट भी देनी होगी।