हल्द्वानी के बनभूलपुरा रेलवे अतिक्रमण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा विस्थापन प्लान..क्या विस्थापन प्लान दिए जाने के बाद हज़ारों की संख्या में अवैध अतिक्रमणकारी होंगे बेघर…?

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देश व प्रदेश में सरकारी,वन व नजूल भूमि पर अवैध कब्जेदारों पर हो रही है सख्ती..क्या सुप्रीम कोर्ट में प्लान दिए जाने के बाद बनभूलपुरा बस्ती पर गरजेगा बुलडोजर…?

हल्द्वानी के रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले में आज सर्वोच्च अदालत में सुनवाई हुई।जैसा कि विदित था कि उक्त मामले में राज्य सरकार अपनी बात रखने के लिए और अधिक समय चाहती है।ठीक वैसा ही हुआ पर न्यायाधीशों की डबल बैंच ने थोड़ी आनाकानी के बाद मामले में लंबी तारीख दे दी है।इस मामले की अगली सुनवाई अब अगस्त माह के पहले सप्ताह में लगाई गई है।

50 हज़ार की घनी आबादी का होना है विस्थापन..पहले प्लान बताए राज्य सरकार..केवल समय बढ़ाने से कुछ न होगा…

आपको बता दें कि 20 दिसंबर 2022 को उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने एक सप्ताह का समय उक्त भूमि पर बने लगभग 4500 भवनों को नेस्तिनाबूद किये जाने का आदेश दिया था।लेकिन उक्त फैसले के विरोध में स्थानीय बाशिंदे सर्वोच्च अदालत चले गए।राज्य सरकार के पास उनके विस्थापन का कोई प्लान नही था लिहाज़ा सर्वोच्च अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी।फिर फरवरी में रेलवे ने दस्तावेजों को अदालत में देने के लिए समय की माँग कर दी।जिस पर 2मई की तिथि सुप्रीम कोर्ट ने निश्चित कर दी।और आज एक बार फिर से राज्य सरकार द्वारा और समय की माँग कर दी।जिस पर जस्टिस किशन कौल और जस्टिस एहतेशाम अमानुल्ला ने उत्तराखंड सरकार की ओर से समय मांगे जाने पर कहा कि वक्त मांगते रहने से कुछ नही होगा।आपको विस्थापन का प्लान बताना होगा। जजेस ने कहा कि आप बार बार समय की मांग क्यों कर रहे हैं।लेकिन फिर कोर्ट ने मामले कि अगली तारीख तीन माह बाद की दे दी है।