अगर नैनीताल में आपकी बंद दुकान के सामने भी मिला प्लास्टिक तो होगा भारी जुर्माना……….दूध दही चिप्स बेचना भी होगा अब मुश्किल….रजिस्ट्रेशन होगा जरुरी…. डीएम ने जारी किए निर्देश…

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नैनीताल – हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने नैनीताल को प्लास्टिक मुक्त करने का प्लान तैयार कर लिया है। पहले चरण में सरकारी कार्यालय प्लास्टिस मुक्त होंगे जिसके बाद शहर में ड्राइव चलाकर इसके लिये अभियान चलाया जायेगा। इसके साथ ही जिला प्रशासन से साफ कर दिया है कि अगर बंद दुकान करके रात मे घर जाते हैं और सुबह दुकान के सामने प्लास्टिक मिलेगी तो उस पर जुर्माना काटा जायेगा। इसके लिये बकायदा टीमों का गठन करने के निर्देश दिये हैं और शहरी और ग्रामीण इलाकों में अलग अलग अधिकारियों और कर्मचारियों को जुर्माना वसूलने की जिम्मेदारी दे दी गई है। इसके साथ ही नैनीताल डीएम धीराज गर्ब्याल ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि पहाड़ों की तरफ आने वाले हर वाहनों की चैकिंग हो और हाट बाजार के साथ बाँर्ड़र में भी अभियान के तौर पर चैंकिंग की जाए.. जिले में प्लास्टिक ना आ सके इसके लिये चैकिंग प्वाइंटों पर सघन चैकिंग हो साथ ही मेले त्यौहारों में भी प्लास्टिक बैन हो । डीएम ने निर्देश दिया है कि शहर में सामान लाने वाले डीलरों को नोटिस जारी किया जाए कि वो बिना रजिस्ट्रशन के नैनीताल जिले में कोई प्लास्टिस यूज वाली चिप्स ब्रेड़ दूध ना दें अगर इसके बाद भी वो ये करते हैं तो उन पर कार्रवाई होगी। डीएम ने कहा कि दूघ समेत अन्य जो जरुरी सामान है उसमें जिनता प्लास्टिक कम्पनी दे रही है उसको वापस लें और विशेष आँफर लोगों को दें ताकि लोग वापस दुकानों में दूघ का रैपर दें। डीएम ने कहा की गांव और शहरों में लगातार प्लास्टिक के खिलाफ अभियान चलाएं ताकि लोगों को जागरुक किया जा सके और सिंगल यूज प्लास्टिक बंद हो सके।

अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि जनपद में जितने भी प्लास्टिक उत्पादन करने वाले उद्योग, अगर उत्पादन कर रहे हैं तो उनका पंजीकरण प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड में करना सुनिश्चित करें।

उद्योगों को पत्र जारी करें कि उद्योगों द्वारा पैकेजिंग सामानों में जो प्लास्टिक यूज किया जाता है। उस पर प्रतिबन्द लगाना सुनिश्चित करें।

हाईकोर्ट ने ये दिया है निर्देश………..….

दरअसल उत्तराखंड के गावँ से लेकर शहर तक फैल रहे कूड़े पर हाई कोर्ट ने आदेश दिया था और पर्वतीय क्षेत्र में फैल रहे कूड़े पर निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा है कि प्लास्टिक में अपने उत्पाद बेचने वाले कंपनियों को 10 दिन के भीतर अपना रजिस्ट्रेशन उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में करना होगा। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि अगर ये अपना रजिस्ट्रशन नहीं करते हैं तो इनके उत्पादों पर रोक लगाएं। कोर्ट ने कहा है कि तीन हफ्तों के भीतर  प्लास्टिक कचरे का निस्तारण कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। वहीं कोर्ट ने कहा है कि प्लास्टिक उत्पादक,परिवहनकर्ता, और विक्रेता सुनिश्चित करें कि खाली बोतल चिप्स के रैपर आदि वापस लें तो उसके बदले नगर ग्राम पंचायतें  नगर निकायों को फंड दें ताकि वो उसका निस्तारण कर सकें। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को आदेश दिया है कि इसकी मॉनिटरिंग करें। आपको बतादें कि जितेंद्र यादव ने जनहित याचिका दाखिल कर कहा है कि राज्य सरकार ने 2013 में  प्लास्टिक यूज और उसके निस्तारण की नियमावली बनाई थी और 2018 में  केंद्र सरकार ने रूल्स बनाये और कहा था कि जितना ये कंपनी गावँ शहर में प्लास्टिक देती हैं कुछ प्रतिषत्वपस लेना होगा। अगर ऐसा नहीं करेंगे तो प्लास्टिक निस्तारण के लिए फंड जारी करना होगा। याचिका में इन नियमों को लागू करने के साथ पहाड़ में प्लास्टिक निस्तारण की मांग की गई है।