गूगल बताएगा कहाँ ग्रीन जोन में हुआ है अवैध निर्माण…..कमिश्नर दीपक रावत ने जारी किया ये फरमान……अवैध निर्माण में लिप्त अधिकारी कर्मचारी नहीं दे सके कमिश्नर को सही जानकारी…कमिश्नर घूम घूम कर खोली अपने अधिकारियों की पोल.

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नैनीताल – नैनीताल पर जिस कदर दबाव बड़ा है उससे शहर में हो रहे चौतरफा भूस्खलन ने भविष्य की चिंता बढने लगी हैं। पिछले 10 सालों में ग्रीन जोन में धडल्ले से निर्माण हुआ है तो शहर कंकरीट के जंगल में तब्दील हुआ है। अब कमिश्नर ने खुद मोर्चा अवैध निर्माण के खिलाफ खोला है। हालांकि अब गूगल इमेज से अवैध निर्माण चिन्हित होगा एसकके निर्देश कमिश्नर दीपक रावत ने दिए हैं।

ग्रीन जोन को लेकर कमिश्नर दीपक रावत सख्त….

दरअसल अब जिला विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से तैयार नैनीताल में अवैध मकानों और होटलों पर कमिश्नर का डंटा चला है। पिछले दो दिनों में कमिश्नर खुद मोर्चा संभाला है और शहर के ग्रीन जोन से लेकर अलग अलग इलाकों में मौका मुआयना किया और अवैध निर्माण चिन्हित करने के साथ उनको ध्वस्त करने के निर्देश दिये हैं। इस दौरान कमिश्नर ने प्राधिकरण के अधिकारियों के मिलीभगत की पोल भी खोली है। ग्रीन जोन में अवैध निर्माण का बन रहे हब पर प्राधिकरण के सचिव से लेकर जेई के की भूमिका पर कमिश्नर ने सवाल उठाए हैं तो एक हफ्ते के भीतर पूरी रिपोर्ट भी तलब की है। वहीं अब कमिश्नर दीपक रावत ने गुगल का सराहा लेकर उन तस्वीरों के हिसाब से अवैध निर्माण को ध्वस्त करने को कहा है। इस दौरान कमिश्नर दीपक रावत ने कहा कि कोर्ट आदेश के बाद नया निर्माण अनुमन्य नहीं है और पहले से ही ये इलाके संवेदनशील हैं और नैनीताल इस बीच भूस्खलन के लिये ज्यादा संवेदनशील नैनीताल हो गया है कमिश्नर ने प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि जो गुगल अर्थ पर इमेज हैं 2015 के अनुसार आज के हिसाब से तुलना करें और जो भी अवैध भवन बने हैं उन पर कार्रवाई करें पहले चरण में व्यवसायिक निर्माण पर कार्रवाई करेंगे।

क्यों ईको जोन नहीं बन सका नैनीताल…..क्योकि भार वहन करने की छमता हो गई थी 2006 में खत्म

दरअसल 2006 में नैनीताल की भार वहन करने की छमता खत्म हो गयी है और इसका डाँफ्ट बकायता सरकार को भेज दिया गया लेकिन सरकार ने कोई निर्णय आज तक नैनीताल में नहीं लिया… बावजूद इसके अवैध निर्माण से भार नैनीताल पर इस कदर ड़ला गया कि चारों तरफ से भूस्खलन नैनीताल में होने लगा है। बलियानाला चायनापीक टिफिनटाँप के साथ भवाली कालाढुंगी और पंगूट रोड़ भी खतरे की जद में हैं। वहीं शहर के अंदरुनी मार्गों पर भी धंसाव लगातार हो रहा है। हांलाकि जानकार कहते हैं कि इन सब खतरों के बीच ग्रुप हाउसिंग जारी है तो अधिकारियों और सरकार ने खुद के लिये शहर को ईको जोन में तब्दील होने से रोक दिया गया। अजय रावत कहते हैं कि जो डाँफ्ट तैयार किया था उसको लागू करने के साथ जो केन्द्र सरकार ने नैनीताल को ईको जोन में बनाना था उसके लिये भी कोई काम नहीं हो सका और इस ईको जोन का प्रशासनिक ढांचा भी पर्यायवरण मंत्रालय के अनुसार होना था लेकिन सरकार ने इसको लागू नहीं होने दिया और व्यवधान पैदा किया जिसका खामियांजा आज झेलना पड़ रहा है। अजय रातव कहते हैं कि 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश नैनीताल शहर के लिये दिया था जिसमें व्यवसायिक निर्माण को पूरी तरह से बैन कर दिया और कई महत्वपूर्ण निर्देश भी दिये थे लेकिन रसूकदारों ने प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ मिलकर निर्माण तेजी से हुआ और पूरा शहर कंकरिट के जंगल में तब्दील हो गया है। जिसका असर चारों तरफ भूस्खलन से देखा जा रहा है। अजय रावत कहते हैं कि अब भी नहीं जागे तो ये तय है की भविष्य के परिणाम गम्भीर होंगे और 1880 जैसी घटना जिसमें 151 लोगों मौत हो गई थी वो फिर हो सकती है।