बड़ी खबर…राज्य में 18 जून को सभी जज करेंगे सफाई..सफाई कर्मचारियों की बायोमैट्रिक लगेगी हाँजरी तो कूड़े वाहन पर जीपीएस सिस्टम अनिवार्य..टैक्सी गाडियों पर कूड़ा डस्टबीन अनिवार्य बोतलों पर लागू होगा क्यूआर कोड..चारधाम के लिये भी ये आदेश…

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नैनीताल – उत्तराखण्ड में पूरे राज्य के जज जल्द ही सफाई करते नजर आएंगे..18 जून को राज्य भर के न्यायिक अधिकारी पूरे राज्य में स्वच्छता का मैसेज देंगे। हाईकोर्ट ने आज अपने आदेश में पूरे प्रदेश की न्यायपालिका उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय और मजिस्ट्रेट कोर्ट तक सभी न्यायाधीश और कर्मचारी पूरे प्रदेश में स्वच्छता अभियान चलाएंगे। राज्य सरकार ने भी इसमें सहयोग देने के लिए कहा है।
इसके साथ ही राज्य में सफाई कर्मचारियों की हाँजरी बायोमैट्रीक से लगाने के निर्देश हाईकोर्ट ने दिया है राज्य सरकार ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सभी स्वच्छता कार्मिकों की बायोमैट्रिक अटेंडेंस और सभी कूड़ा वाहनों पर जीपीएस लगाकर उनकी ट्रैकिंग ऐप के माध्यम से सुनिश्चित की जाए। निदेशक शहरी विकास और निदेशक पंचायती राज दोनों को इस संबंध में अनुपालन आख्या प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है
चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस मनोज तिवाड़ी की कोर्ट ने आज सरकार को आदेश दिया है कि केदारनाथ की तर्ज पर पूरे राज्य में प्लास्टिक बोतलों पर क्यूआर कोड लगाएं, कोर्ट ने कहा है कि कंपनी से ही क्यूआर कोर्ट लागू हो ये सुनिश्चित किया जाए। कोर्ट ने कहा की केदारनाथ में लागू सिस्टम में खामियां हो सकती है लेकिन अगर मैनिफैक्च लेवल पर ये होगा तो इन कमियों को दूर किया जा सकता है इसके लिए सरकार आदेश निकले।
कोर्ट ने स्वच्छता एप और वेबसाइड का प्रचार प्रसार करें। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि एनजीटी ने राज्य सरकार पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का पालन न करने पर जो 200 करोड़ रुपए की धनराशि आरोपित की है उसे उत्तराखंड में खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में कूड़ा निस्तारण की अवस्था अपना सुविधाएं विकसित करने में खर्च किया जाए।
कोर्ट ने उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा जिसमें केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जीबी पंत हिमालयन इंस्टीट्यूट के द्वारा गंगोत्री यमुनोत्री केदारनाथ हेमकुंड साहिब मैं कूड़ा निस्तारण के संबंध में पाई गई गंभीर खामियों और सुझाए गए उपायों को तुरंत लागू करने के लिए राज्य सरकार को आदेश दिए हैं
प्रदूषण बोर्ड़ को कहा है कि जो पर्यावरण के नुकसान है उसका आंकलन के नुकसान कैसे भरपाई होगी वहीं वन विभाग को सभी नक्से जल्द पेश करने को कहा है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेशित किया है कि वह सभी कमर्शियल वाहन और उत्तराखंड में प्रवेश करने वाले यात्री वाहनों में एवं पर्यटकों के वाहनों में दस्त बैग और डस्टबिन लगाना सुनिश्चित करने और परमिट की अनिवार्य शर्त के रूप में इसे लागू करने के लिए ट्रैफिक और पुलिस के संबंधित सेक्शन को सर्कुलर के माध्यम से जागरूक करें ताकि इसका अनुपालन सुनिश्चित हो सके।
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए ये भी कहा है कि सिर्फ नियम कागज में ही लागू हो रहे हैं और धरातल पर कोई भी योजना काम नहीं कर रही है। आपको बतादें कि जितेन्द्र यादव की याचिका पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है जिसमें राज्य में प्लास्टिक वैन को लेकर हाईकोर्ट सख्त है।