कौन सुनेगा…..ओखलकांडा में 34 परिवारों ने घर छोड़ा….पटवारी से लेकर डीएम तक सीएम से लेकर पीएम तक किसी ने नहीं सुनी समस्या….वोट मांगने वालों ने भी छोड़ा आपदा में अपने हाल….

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नैनीताल-चुनाव के वक्त याद आने वाली जनता का चुनाव बाद क्या हाल होता है इसका जीता जागता उदाहरण नैनीताल के टीमर गावँ में देखने को मिला। 1992 से लेकर अब तक गावँ के लोगों ने ना जाने कितने चुनावों में वोट दिया मगर इनकी समस्या आज भी जस के तस बनी हुई है। हालात ये है की आपदा के दंश झेल रहे गावँ पर चौतरफा मुसीबत आयी है लेकिन पटवारी से लेकर डीएम और उत्तराखंड के सीएम से लेकर देश के पीएम तक इनकी परेशानियों का हल नहीं खोज सके हैं अब गावँ के लोगों ने अपने घर छोड़ दिये हैं।

दरअसल नैनीताल ओखलकांडा के टीमर गावँ के 34 परिवारों ने घर छोड़ दिया है और इन लोगों ने स्कूल में शरण खुद ले ली है। सूचना के बाद भी कोई सुध इन ग्रामीणों की जिला प्रशासन ने नहीं ली है। लगातार हो रही बारिश के बाद अब ये ग्रामीण जूनियर स्कूल बढ़ोन में रहने को मजबूर हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पिछले 40 सालों से गावँ में भूस्खलन हो रहा है लेकिन कोई कार्रवाई आज तक नहीं हो सकी है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पटवारी को सूचना देने के बाद भी आज तक आपदाग्रस्त गावँ की सुध नहीं ली और डीएम कार्यालय में धरना देने के बाद भी सरकार ने कोई इंतजाम आज तक नहीं किये जबकि पिछले साल भी ये गावँ आपदा की चपेट में था। वहीं इस सब के बाद किसी अधिकारी को इनकी जानकारी तक नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि 1992 से लगातार गावँ में भूस्खलन हो रहा है लेकिन किसी ने कोई सुध नहीं ली आज मजबूरी में गावँ के लोगों को स्कूल में सरण लेनी पड़ रही है। वहीं ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि सबको इसकी जानकारी दी लेकिन किसी ने कोई सुध नहीं ली है।