हल्द्वानी के मलिक के बगीचे से अतिक्रमण हटाने के मामले में हाई कोर्ट से याचिकाकर्ता को किसी तरह की कोई राहत नहीं…

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बनभूलपुरा में मलिक के बगीचे से अतिक्रमण हटाने के मामले में याचिकाकर्ता को किसी तरह की कोई राहत नहीं..

हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में कंपनी बाग में वर्ष 1937 में एक भूखंड 10 वर्षों केलीज़ पर एक परिवार को केवल कृषि कार्यों के लिए दी गई थी।उस भूमि को खुर्द-बुर्द कर उसे मलिक का बगीचा नाम दे दिया गया।विगत दिनों जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन व नगर निगम ने उक्त भूमि पर बनाये गए अवैध निर्माण को अतिक्रमण मानकर ध्वस्त कर दिया था।जिस पर स्थानीय समुदाय विशेष के लोगों ने आक्रोशित होकर नगरनिगम, पुलिस व पत्रकारों पर पत्थरबाजी, गोलीबारी व पैट्रोल बमों से हमला कर दिया था।तथा बनभूलपुरा थाना भी फूँक दिया था। मामले में पुलिस ने अब्दुल मलिक को उक्त हिंसा का मास्टरमाइंड बता कर नुकसान की भरपाई का 2.44करोड़ की रिकवरी भी भेज दी।उक्त मामले में हाई कोर्ट नैनीताल में हल्द्वानी की साफिया मलिक की याचिका पर सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई।जिसमें सफ़िया मलिक और नज़ाकत खान ने नगर निगम के 30 जनवरी के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने आज पूरे मामले की सुनवाई के लिये 6 हफ्तों के बाद की तारिख तय कर दी है।कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वो 4 हफ्तों में अपना जवाब दाखिल करें जिसके बाद याचिकाकर्ता 2 हफ्तों के भीतर प्रतिशपथ पत्र दाखिल करें।

10 वर्षों के लिए लीज़ पर मिली कृषि भूमि को बेचने पर हुआ लीज़ की शर्तों का उलंघन…- एस.एन बाबुलकर महाधिवक्ता उच्च न्यायालय नैनीताल…

याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने कहा कि नगर निगम हल्द्वानी की ओर से नियम विरुद्ध तरीके से ध्वस्तीकरण का नोटिस दिया गया। जबकि सरकार की ओर से महाधिवक्ता एस.एन बाबुलकर ने बताया कि लीजधारक ने लीज की शर्तों का उल्लंघन किया।क्योंकि उन्हें लीज केवल कॄषि कार्य के लिए दस साल के लिए दी गई थी।जिसे बेचे जाने व स्थल पर अवैध निर्माण किये गए हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद एकलपीठ ने सरकार को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।