भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट की उत्तराखंड सरकार,रामदेव,बालकृष्ण को कड़ी फटकार..उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण में वर्ष 2018 से रहे अधिकारियों की सूची भी कोर्ट ने की तलब…

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पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट की उत्तराखंड सरकार को भी फटकार..रामदेव व पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के एम.डी आचार्य बालकृष्ण ने पुनः माँगी माफ़ी…

योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि उत्पादों को लेकर बड़े-बड़े दावे करने संबंधी जारी विज्ञापनों पर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी है। इस पर सर्वोच्च अदालत ने उन्हें जमकर फटकार लगाई। कहा कि हम अंधे नहीं हैं। हम माफीनामा स्वीकार करने से इनकार करते हैं।न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति ए.अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि माफी केवल कागज पर है। हम इसे स्वीकार करने से इनकार करते हैं।हम इसे जानबूझकर आदेश का उल्लंघन मानते हैं।अदालत ने यह भी कहा कि उपरोक्त मामले में वह केंद्र के जवाब से संतुष्ट नहीं है। इस मामले में अब अगली सुनवाई की तिथि 16 अप्रैल होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 से अब तक जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारियों के रूप में पदों पर रहने वाले सभी अधिकारियों की डिटेल की तलब…

आपको बता दें कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता पी.एस पटवालिया ने याचिका में कहा था कि पतंजलि ने दावा किया था कि योग अस्थमा और डायबिटीज को वो पूरी तरह से ठीक कर सकतें हैं। पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों को लेकर केंद्र से परामर्श और गाइडलाइंस जारी करने का आदेश दिया था।साथ ही अन्य दवा प्रणालियों के बारे में कुछ गलत न कहने के लिए आगाह किया था। कंपनी ने पहले अदालत के समक्ष अपने हलफनामे में ऐसा कुछ नहीं करने की बात कही थी। पिछले साल 21 नवंबर को पतंजलि के एडवोकेट ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि आगे से कानून का कोई उलंघन नही किया जाएगा।कोर्ट का कहना है कि 4-5 साल में स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी गहरी नींद में सो रही।उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण की कार्यशैली पर भी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए व आदेश दिया कि 2018 से अब तक जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारियों के रूप में पदों पर रहने वाले सभी अधिकारी उनके द्वारा उठाए गए कार्यों पर जवाब कोर्ट में दाखिल करें।