खास मुलाकात..नैनीताल में पर्यटकों की घटती आमद पर भी विचलित दिखे..महाभारत सीरियल के “संजय”…

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जीवन की सत्यता से परिपूर्ण बेहद सरल व व्यवहारिक व्यक्तित्व ललित तिवारी से मुलाकात खास रही..उन्होंने सामाजिक मुद्दों पर भी अपनी बेबाक राय रखी…

भारतीय फ़िल्म और टेलीविज़न में सरोवर नगरी के नेशलन स्कूल ऑफ ड्रामा से निकले बॉलीवुड अभिनेता ललित मोहन तिवारी ने बड़ा मुकाम हासिल किया है।अगर हम बात करें तो वर्ष 1988 में महाभारत सीरियल में “संजय”के किरदार व भारत एक खोज – द डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया से उन्होंने बहुत सुर्खियां बटोरी।फिर अनेकों सीरियल्स व फिल्मों में उन्होंने दमदार अभिनय किया।विगत शाम माल रोड पर मेरे एक मित्र अजय कुमार जो कि शेयर ब्रोकर के साथ ही अन्य व्यवसायिक गतिविधियों में भी बारीक पकड़ रखते हैं और रंगमंच में भी उनकी ज्यादा रुचि है।मुझे मिल गए।उनके साथ एक लंबी सफेद दाढ़ी में सेंटा क्लॉस जैसे दिख रहे एक दिव्य प्रतिभावान व्यक्तित्व भी थे।वो शख्स फ़िल्म व सीरियल में बड़ा नाम हासिल कर चुके ललित तिवारी थे।बेहद सौम्य व सहृदय व्यक्तित्व ललित तिवारी जी बातचीत में बहुत मित्र सम्यक व सरल लगे। फिर शुरू हुआ उनसे विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर चर्चाओं का सिलसिला..

नैनीताल में पर्यटकों की घटती आमद पर भी विचलित दिखे..महाभारत सीरियल के “संजय”..

उन्होंने स्टार ख़बर को बताया कि उनका आरंभिक जीवन भी बड़ी कठिनाइयों में बीता।जब वो छोटे ही थे तो उनके पिता का स्वास्थ्य खराब रहने लगा जिससे उन्हें पिता की पान की दुकान पर बैठना पड़ा।झील के किनारे ही उनके कज़न उबले अंडे व भुट्टे बेच कर ₹30 से ₹40 धनराशि कमा लेते थे।फिर वो दोनों फ़िल्म देखा करते थे।उनकी फिल्में देखने की यह ललक ही उन्हें बॉलीवुड ले गई।जहाँ उन्होंने खासी प्रसिद्धि पायी।नैनीताल में पर्यटकों की घटती आमद पर भी बहुत विचलित दिखे महाभारत के संजय..उन्होंने कहा कि राजनीतिक हलचलों को पर्यटक आच्छादित स्थलों से थोड़ा दूर ही रखना चाहिए..
आपको बता दें कि उनकी अदाकारी के जलवे अनेकों फिल्मों जैसे ये वो मंज़िल तो नहीं, ओम-दर-ब-दर, सूरज का सातवां घोड़ा, मम्मो , हरी-भरी , नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो , वेलकम टू सज्जनपुर, चांदनी , लम्हे और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे जैसी मुख्यधारा की बॉलीवुड फ़िल्मों में दिखाई देती रही।