हरियाणा में ओ.बी.सी नेता नायाब सिंह सैनी बने मुख्यमंत्री.. क्या..दाग लगे मुख्यमंत्री खट्टर पर भाजपा का यह चुनावीं दावँ चलेगा या होगा टॉय-टॉय फिस्स..?

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नायब सिंह सैनी ने अल्पकाल के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की ली शपथ..क्या..दाग लगे मुख्यमंत्री पर भाजपा का यह दावँ चलेगा या होगा टॉय-टॉय फिस्स..?

हरियाणा में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी को चंडीगढ़ के राजभवन में हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की कमान सौंप दी गई है।पहले सुबह खट्टर सरकार का इस्तीफ़ा फिर उसी पद पर एक नॉन जाट नेता ( पिछड़ा वर्ग ओ.बी.सी )की ताजपोशी आज ही कर दी गई।दरअसल हरियाणा में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव कराने पर भी विचार किया जा रहा है।इसीलिए राज्य में नेतृत्व परिवर्तन कर दिया गया है।आपको याद होगा कि पिछले विधानसभा चुनावों में उत्तराखंड में भी नेतृत्व परिवर्तन कर तीन मुख्यमंत्रियों को सत्ता की बागडोर सौंपी गई थी लेकिन ऐसी उम्मीद थी कि राज्य की जनता स्थायी सरकार न दिए जाने के कारण पार्टी को बाहर का रास्ता दिखा देगी।लेकिन मतदान में नतीज़े उलट आये।और भाजपा को भारी बहुमत मिला।शायद अपने गुनाहों पर पर्दा डालने का यह नया फार्मूला भाजपा के हाथ लगा है।बताया यह गया कि आगामी लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर हुए मतभेदों की कारण बीजेपी और जननायक जनता पार्टी जे.जे.पी का गठबंधन टूटा है।जिस वजह से मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को अपने पूरे कैबिनेट के साथ इस्तीफा देना पड़ा।आपको बता दें कि खट्टर पर पहलवानों की उपेक्षा व किसानों पर ज्यादती के बड़े दाग हैं।जिन्हें इस तरह से भाजपा द्वारा धोने का प्रयास किया जा रहा है।

9 वर्षों में पिछड़ा वर्ग ओ.बी.सी नेता नायब सिंह सैनी ने भरी लंबी उड़ान..विधायक,सांसद से प्रदेश अध्यक्ष और फिर मुख्यमंत्री तक पहुँचा सफ़र…

25 जनवरी 1970 को अम्बाला में जन्मे नायब सिंह सैनी कुरूक्षेत्र निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के लोकसभा सांसद भी हैं। इससे पहले वो साल 2014 में नारायणगढ़ विधानसभा से विधायक चुने गए थे। साल 2016 में नायब सिंह हरियाणा सरकार में राज्य मंत्री भी रहे हैं।बिहार के बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने यूपी के मेरठ जिले में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से एल.एल.बी की डिग्री हासिल की थी।फिर संघ से जुड़े, तत्पश्चात बीजेपी में शामिल हो गए।नायब सिंह सैनी (53 साल)वर्ष 2014 में मुख्य धारा की राजनीति में आए थे और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा।कुल 9 साल के अंतराल में वो पहले विधायक बने फिर राज्य सरकार में मंत्री उसके बाद लोकसभा सांसद और अक्टूबर 2023 में हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। और 5 महीने बाद ही नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री के रूप में सबसे बड़ी जिम्मेदारी मिल गई।अब देखना यह है कि वो चुनावी शतरंज के इस गेम में कितने सफल होते हैं..?जिसके लिए उन्हें मैदान में उतारा गया है।यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।

हरियाणवियों को जाति के विभाजन में बाँटकर वोट बटोरने की ‘राजनीतिक सर्कस’..- रणदीप सिंह सुरजेवाला कांग्रेस नेता…

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक्स पर लिखे एक पोस्ट में बीजेपी को उक्त मामले में घेरने की कोशिश की है।उन्होंने लिखा है कि “हरियाणा में पूर्व निर्धारित ‘स्क्रिप्ट’ के आधार पर हरियाणवियों को जाति के विभाजन में बाँटकर वोट बटोरने की ‘राजनीतिक सर्कस’ शुरू कर दी गई है। साढ़े नौ साल की खट्टर सरकार की नाकामयाबी और नकारापन से बचने के लिए गठबंधन तोड़ने का ‘पूर्व निर्धारित ड्रामा’। आधे अब भाजपा में और आधे जजपा में”
“सारे पापों का ठीकरा जजपा पर मड़ने का नया ‘शगूफा’ छोड़ा जाएगा। नया मंत्रिमंडल बनाया जायेगा शायद नया मुख्यमंत्री भी। लोगों को पिछले कुकर्म भुलाने, 10 सालों के पिछली जन विरोधी नीतियों – फ़ैसलों से भटकाने के लिये ‘पाप के टोकरे’ पर नया ‘लेबल’ चिपकाया जाएगा.”