पहाड़ की इस बाख़ली के संवारेंगे दिन…अनोखी हैं पहाड़ की ये हाउसिंग कॉलोनियां.. भाईचारे का प्रतीक खाली हो कई घर.. कुमाऊं की सबसे बड़ी बाखली से हो रही है शुरुआत

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नैनीताल – पहाड़ से पलायन भले ही होते रहा हो और गांव बाखली भी खाली हो रही हैं..लेकिन अब इन बाखलियों को संवारने का काम शुरु किया जा रहा है। इसके लिये सबसे पहले चरण में कुमाऊँ की सबसे बड़ी बाखली कुमाटी को संवारने का प्लान पर्यटन विभाग ने तैयार किया है..इसके लिये बकायता सचिव पर्यटन ने निर्देश जारी किये हैं।
रामगढ ब्लाक मे स्थित कुमाटी गांव की ये सबसे बड़ी बाखली को पर्यटन के तौर पर उभारने का प्लान है..सचिव पर्यटन सचिन कुर्वे ने डीएम नैनीताल को कहा है कि सबसे बड़ी इस कुमाटी की बाखली को पुर्नजीवित करें साथ ही स्थानीय रोजगार को बढावा देने के लिये और गांव से पलायन रोकने के लिये काम करें। पर्यटन सचिव ने कहा है कि पर्यटन विभाग इन स्थानों का सौन्दर्यकरण करने के साथ ही क्राफ्ट म्यूजियम, ओपन थियेटर, स्थानीय फूड और सांस्कृति को बढ़ावा देने के लिए शासन स्तर से 50 लाख रूपये निर्गत कर दिये गये हैं।

क्या है कुमाटी गांव की कहानी..

दरअसल कुमाटी गांव नैनीताल के रामगढ ब्लाक में है जहां जहां घरों की श्रृखला यानि बाखली के तौर पर कई घर एक साथ हैं..कुमाटी की इस बाखली में करिब 27 घर एक साथ एक दूसरे से जुड़े हैं। पहाड़ी शैली में तैयार एक दम मन मोह लेने वाले इन घरों की शानदार इंजीनियरिंग वास्तुकला का भी बेजोड़ नमूना है। लकड़ी की नक्काशी पहा के समृद्ध काष्ठ कला के दर्शन भी कराता है और सभी का ध्यान अपनी ओर आकृर्षित करती है..हांलाकि अधिकांश मकानों पर ताले लग गये हैं लेकिन पर्यटक गाहे बगाहे इसे देखने पहुंचते हैं हांलाकि कभी भाईचारे और दोस्ती की मिशाल कायम करने वाले इस बाखली के मकान भी जर्जर हो रहे हैं लेकिन इसे संवारने का सपना पर्यटन विभाग ने देखा है।