8 मिनट में 150 लोग हुए घायल अस्पताल में हुआ ईलाज.. मुख्यमंत्री धामी ने बढ़ाया हौसला…फूलों के साथ चले पत्थर लाखों लोग बने गवाह…

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देवीधुरा चम्पावत:
हर साल की तरह इस साल भी रक्षाबंधन के मौके पर देवीधुरा में फल और फूलों से विश्व प्रसिद्ध बग्वाल खेला गया। इस दौरान मैदान रणबांकुरों से खचाखच भरा नज़र आया।चम्पावत जिले के देवीधुरा स्थित मां वाराही देवी मंदिर के परिसर में आषाढ़ी कौतिक (मेला) के भव्य आयोजन के 1.50 लाख से अधिक लोग गवाह बने। चारों खामों (बिरादरी) के रणबांकुरों ने आठ मिनट तक फूल, फल से बग्वाल खेली । आखिरी दो मिनट में पत्थर भी बरसे। बग्वाल युद्ध में 150 से अधिक रणबांकुरे घायल हो गए। जिनका अस्थायी अस्पताल में उपचार किया गया। आपको बता दें कि बग्वाल को दो देखने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पहुचे ।

बग्वाल देखने के लिए उत्तर प्रदेश हिमाचल पंजाब हरियाणा महाराष्ट्र दुबई जापान सहित नैनीताल अल्मोड़ा पिथौरागढ़ देहरादून उधम सिंह नगर सहित गढ़वाल के लोग पहुंचे थे। मंदिर परिसर के अलावा आसपास के मकानों की छतें ठसाठस भरी हुई थीं। दोपहर करीब डेढ़ बजे से योद्धा खोलीखांड़ दुबाचौड़ मैदान में जुटना शुरू हो गए थे।

सबसे पहले गुलाबी पगड़ी में चम्याल खाम के गंगा सिंह चम्याल के नेतृत्व में उनका दल मैदान में पहुंचे। इसके बाद लाल पगड़ी में गहड़वाल खाम के त्रिलोक सिंह, केसरिया पगड़ी में लमगडिय़ा खाम के वीरेंद्र सिंह व सफेद पगड़ी में वालिक खाम के चेतन सिंह बिष्ट के नेतृत्व में योद्धा मैदान पर पहुंचे। सभी ने मंदिर व मैदान की परिक्रमा की। कुल आठ मिनट बग्वाल खेली गई। चम्याल व वालिक तथा लमगडिय़ा व गहड़वाल खाम के बीच पराक्रम दिखाने का यह युद्ध चला। बग्वाल खेलने के बाद सभी ने आपस में गले मिलकर बधाई दी।

इस दौरान पूरा क्षेत्र मां वाराही के जयकारों से गुंजायमान रहा। बग्वाल में 150 से अधिक लोगों को हल्की चोटें आई हैं। मेला कमेटी के मुख्य पीठाचार्य भुवन चंद्र जोशी ने बताया किया कि इस बार डेढ़ लाख लोगों ने बग्वाल देखी। बग्वाल से पूर्व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहां की यह स्थान आध्यात्मिक रूप से जितना समृद्ध है प्राकृतिक रूप से भी उतना ही अधिक मनोरम है। इस अलौकिक भूमि का न केवल ऐतिहासिक महत्व रहा है बल्कि इस क्षेत्र का पौराणिक महत्व भी किसी से छिपा नहीं है। उन्होंने कहां की संस्कृति की महानता के विषय में आम लोगों को जागृत करने का काम हमारे ऐतिहासिक मेले करते हैं और बगवाल का यह ऐतिहासिक मेला भी इसी का एक अनुपम उदाहरण है।

इस प्रकार के मेले से हमारी लोक संस्कृति और लोक परंपराओं को बढ़ावा देने के साथ-साथ हमारे लोक कलाकारों को भी बढ़ावा मिलता है। इस विरासत को संभाले रखना हम सभी का परम कर्तव्य है।मेले में मुख्य रूप से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री मंत्री पुष्कर सिंह धामी महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योति राय, भाजपा जिलाध्यक्ष निर्मल मेहरा, ब्लॉक प्रमुख पाटी सुमनता, पूर्व विधायक पूरन सिंह फर्त्याल, बाराही मंदिर समिति संरक्षक लक्ष्मण सिंह लमगड़िया, अध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, पूर्व अध्यक्ष खीम सिंह लमगड़िया , हयात सिंह मेहरा, , रोशन लमगड़िया, राजेन्द्र बिष्ट, गिरीश सिंग्वाल, चेतन चम्याल, गौरव सिंग्वाल, अमित लमगड़िया, प्रधान सुनकोट दिनेश बोरा, पजैना प्रधान प्रतिनिधि हरीश बिष्ट,चतुर सिंह बोरा , जगदीश बिष्ट, हिम्मत सिंह नयाल तथा प्रशासन से जिलाधिकारी “नवनीत पांडेय”, पुलिस अधिक्षक देवेन्द्र पींचा, सीडीओ आरएस रावत, एडीएम हेमंत वर्मा, एसडीएम सौरभ असवाल , एसडीएम धारी कृष्ण नाथ गोस्वामी , प्रधानाचार्य शंकर सिंह बोरा,राहुल कुमार ,भास्कर चंद जोशी ,राकेश कुमार सहित जनप्रतिनिधि आदि उपस्थित रहे ।