उत्तराखंड में धामी सरकार लाएगी भू-क़ानून…जमीन माफियाओं पर लगाम लगाने की तैयारी अलग अलग नामों से खरीदी है जमीन तो हो जाओ सावधान…तिवाडी खंडूरी त्रिवेंद्र सरकार के भूक़ानून पर बजट सत्र में हो सकता है बदलाव

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नैनीताल – राज्य में जनता की मांग पर अब सरकार ने भूक़ानून और मूल निवास पर खुलकर बोला है। राज्य के मुख्यमंत्री धामी ने भूक़ानून पर स्टैंड साफ किया है और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के दौरान के जमीन संबंधी क़ानून को खत्म करने के संकेत दिए हैं। इतना ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री धामी ने साफ किया है कि निकाय क्षेत्रों से बाहर अलग अलग नामों से खरीदी गई जमीन को भी सरकार में निहित करने पर सरकार काम कर रही है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि कई लोगों ने रिजॉर्ट होटल उधोग के नाम लार राज्य में जमीन खरीदी और इनकी भी जांच होगी अगर उपयोग अलग प्रोयजन के लिए किया गया हो तो उनपर भी कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उनके संज्ञान में आया है कि भूमि क्रय सम्बंधी नियमों में 2017 में जो बदलाव हुए जिससे 12.5 एकड़ की अधिकतम सीमा को खत्म कर देना जो अनुमति शासन स्तर से लेनी थी उसको जिला स्तर पर कर दिया गया ऐसे प्रावधानों की समीक्षा होगी अगर जरूरत पड़ी तो उनको खत्म किया जाएगा।

सीएम धामी ने कहा कि उनकी सरकार भूक़ानून मूल निवास पर संवेदनशील है और अगले बजट सत्र में उत्तराखंड की भौगौलिक परिस्थितियों के अनुरूप भूक़ानून लेन का प्रयास है।
दरअसल पिछले कई सालों ने उत्तराखंड के लोग मूल निवास और भूक़ानून को लेकर मांग कर रहे हैं, युवा आंदोलन कर रहे हैं तो डिमांड राज्य की जमीनों को बचाने की मांग कर रहे हैं,

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आपको बतादें की उत्तराखंड में अब तक कि सरकारों ने भूक़ानून को लेकर कई बदलाव किए हैं,2004 में स्व0 एनडी तिवाडी सरकार में सबसे पहले भूक़ानून एक्ट बनाया गया जिसमें बाहरी लोगों के लिए 500 वर्ग मीटर जमीन ख़रीने का नियम बनाया और इतनी ही परमिशन दी गयी। इसके बाद खंडूरी सरकार अध्यादेश लेकर आई जिसमें इस लिमिट को 250 वर्गमीटर कर दिया गया। इसके बाद 2017 में त्रिवेंद्र सरकार ने सारी लिमिट हटा दी और 12 एकड़ सिलिग लिमिट को भी हटा दिया गया। इसके बाद राज्य में धड़ल्ले से जमीनों की खरीद बड़ी तो लोगों ने कई स्थानों पर जमीनों को खरीद ली लेकिन जिस उपयोग के लिए खरीदी उसका उलंघन जमकर हुआ