भवाली फल मंडी को पहचान देने में जुटी पालिका….कभी पूरे देश में थी धमक आज फीकी पड़ी चमक..

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भवाली से तनुजा बंगारी बिष्ट की रिपोर्ट

नैनीताल – सरकारें किसानों की बेहतरी के लिये बड़े दावे जरुर करती हैं मगर नैनीताल की भवाली फल मण्डी अपने वजूद की जंग लड़ रही है। हांलाकि अब भवाली की फ्रूट मंड़ी को अब पालिका पहचान देने में जुटी है। इसके लिये शासन को पालिका प्रस्ताव भेजेगी और भीमताल रोड़ और सिप्रा नदी के आस पास भी फल बाजार भी विकसीत किया जायेगा। भवाली चेयरमैन संजय बर्मा ने कहा कि विधायक से लेकर सांसद तक सब हमारे हैं सभी को इसके लिये सामुहिक प्रयास करने होगें..आपको बतादे की भवाली फड़ मंदी के तौर पर अपनी पहचान बनाए हैं और यहां से मुम्बई कोलकता दिल्ली समेत अन्य महानगरों को फल जाता था इसके लिये रेलवे ने बुकिंग का काउंटर भी खोला था लेकिन समय के साथ यहां के फल मार्केट अपनी पहचान खो रहा है। हांलाकि अब पालिका इसके लिये आगे आई है। भवाली पालिका अध्यक्ष संजाय बर्मा कहते हैं कि उनका प्रयास है की फल और सब्जी बाजार का पूराने दिन लौटा सकें लेकिन इसके लिये विधायक और सांसद को भी प्रयास करना चाहिये ताकि इन फल किसानों और व्यापारियों के पूराने दिन लौट सकें।

फलों से है भवाली की पहचान…

दरअसल भवाली की पहचान फल मंड़ी से रही है..लेकिन वक्त के साथ ये यादें धूमिल पड़ रही हैं पहाड़ी फल आडू,पूलम,सेव अखरोट कच्चा बादाम नासपाती समेत अन्य फलों के लिये मसहूर फलों का भी यहां खूब कारोबारी होता था साथ ही फलों को अन्य राज्य जैसे महाराष्ट्र के मुम्बई कोलकता दिल्ली यूपी समेत अन्य राज्यों के लिये यहां से फलों को भेजा जाता था और फलों को भेजने के लिये व्यवस्थाएं भी उस 1970-80 से राज्य बनने से पहले तक रही हैं..बकायदा एक दौर वो भी रहा जब रोड़वेज और रेलवे काउण्टर से यहां से फलों को भेजा जाता था और व्यापारी फल खरिदने सीधे भवाली आते रहे हैं। वहीं अब फलों के कम होते कारोबार से व्यापारी भी यहां नहीं दिखते तो आढती भी कम हो गये हैं वहीं किसान भी उचित मुल्य नहीं मिलने से खासा नाराज है। दरअसल भवाली की फल मण्डी काफी पूरानी है,यहां रामगढ,मुक्तेश्वर,हली हरतप्पा समेत अन्य स्थानों से किसान अपनी फसल बेचने आते हैं,मण्डी के अभाव में कई बार उनको भाव नहीं मिल पाते हैं तो हल्द्वानी बड़ी मण्डी में ले जाने का खर्चा तक नहीं निकल पता है। वहीं स्थानीय प्रकाश कहते हैं कि भवाली में एक छोटी मंत्री जरुरी है जिससे किसानों को एक बाजार मिलेगा और हल्द्वानी और बड़े शहरों के बजाए कास्तकार यहीं अपना सामन बेच सकें..