नैनीताल के ग्रीन जोन में अवैध रूप से बनायी गई पाँच मंजिला इमारत होगी नेस्तिनाबूद..बिल्डर पर 25 हजार का जुर्माना व दर्ज होगा आपराधिक मुकदमा…

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नैनीताल में अवैध रूप से बनायी गई पाँच मंजिला इमारत होगी नेस्तिनाबूद.. ग्रीन जोन में हुए अवैध निर्माण पर हाई कोर्ट  का सख्त आदेश…

सरोवर नगरी में हुए अवैध निर्माण पर उत्तराखण्ड हाईकोर्ट का सोमवार को कड़ा निर्णय आया है।दरअसल पिछले कुछ वर्षों में नैनीताल के ग्रीन जोन में अवैध निर्माण बहुत ज्यादा बढ़े हैं।यहाँ राजमहल कम्पाउण्ड के ग्रीन जोन में पाँच मंजिला भवन का निर्माण किया गया जिस पर प्राधिकरण ने कार्रवाई करते हुए पहले चालानी कार्यवाही की तथा संतोषजनक जवाब न मिलने पर उक्त इमारत के कुछ भाग को ध्वस्त भी किया।जिस पर भवन स्वामी हाईकोर्ट चला गया और हाईकोर्ट की एकलपीठ ने मामले में तीन माह का स्थगन आदेश दे दिया।जबकि ध्वस्तीकरण को बरकरार रखा गया।

पर्यटक नगरी नैनीताल के ग्रीन जोन में यह अवैध निर्माण बिना प्राधिकरण की स्वीकृति के बनाया गया है। जिस पर अदालत ने उक्त भवन को ढहाने के आदेश निर्गत किये हैं…

आपको बता दें कि उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने नैनीताल के राजमहल कम्पाउंड में अवैध रूप से बनाये गए पाँच मंजिला भवन को ध्वस्तीकरण का आदेश दिया है।इसके साथ ही कोर्ट ने भवन निर्माणकर्ता पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया है। और कोर्ट में फर्जी दस्तावेज दाखिल किये जाने पर रजिस्ट्रार जनरल को आदेश दिया है इस इस मामले में बिल्डर के ख़िलाफ़ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज किया जाय।
बरसों पूर्व राजमहल कम्पाउण्ड के ग्रीन जोन में उक्त  बहुमंजिला इमारत जब बनाई जा रही थी तब भी झील विकास प्राधिकरण अधिकारियों द्वारा निर्माण पर नोटिस जारी कर चालानी कार्यवाही की गई थी।कुछ वर्षों बाद पुनः प्राधिकरण सचिव द्वारा ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की गई जिसके ख़िलाफ़ भवन स्वामी उच्च न्यायालय की शरण में चला गया और तीन माह का स्टे प्राप्त कर लिया।उक्त पाँच मंजिले भवन के निर्माण को कई चरणों में निपटा कर बिल्डर ने उक्त फ्लैट्स को बेच भी दिया। इसी तरह से इस बिल्डर ने ग्रीन जोन में ही अनेकों बहुमंजिली इमारतों का निर्माण बिना मानचित्र स्वीकृत कराये किया और उन्हें बेच भी दिया गया।
उच्च न्यायालय में भी बिल्डर ने यह तर्क दिया कि उनके आसपास कई अन्य भवनोँ का निर्माण किया गया हैं।जिस पर प्राधिकरण ने कहा कि ये क्षेत्र ग्रीन जोन के अंतर्गत है। और उक्त पर पाँच मंजिला भवन की अनुमति ही नहीं ली गई है।जिस पर हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद सख्त आदेश पारित करते हुए उक्त भवन के ध्वस्तीकरण का आदेश निर्गत कर दिया।तथा कोर्ट में फर्जी दस्तावेज दाखिल किये जाने पर रजिस्ट्रार जनरल को आदेश दिया कि इस मामले में बिल्डर के ख़िलाफ़ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज करें।