भाजपा ने उत्तराखंड चुनावों में किया था लोकायुक्त का वादा..पर दे रहे घोटालेबाजों को संरक्षण..-रवि शंकर जोशी

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उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए आज तक क्या किया है..वर्षवार पूरे खर्च के ब्यौरे का शपथ पत्र तीन सप्ताह में प्रस्तुत करे राज्य सरकार..-उच्च न्यायालय नैनीताल..

आज उत्तराखंड उच्च न्यायालय में लोकायुक्त की नियुक्ति एवं लोकायुक्त संस्थान को सुचारू किए जाने की प्रार्थना जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।आपको बता दें कि हल्द्वानी गौलापार निवासी रवि शंकर जोशी के द्वारा दायर की गई उक्त जनहित याचिका पर यह सुनवाई हुई।
रवि शंकर जोशी द्वारा माननीय न्यायालय को बताया गया कि लोकायुक्त संस्थान के नाम पर वार्षिक 2 से 3 करोड़ रुपए खर्च किये जा रहे हैं परंतु प्रदेश सरकार द्वारा आज तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की गई है। याची द्वारा बताया गया कर्नाटक तथा मध्य प्रदेश में लोकायुक्त द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जा रही है। परंतु उत्तराखंड में तमाम घोटाले होने के बाद भी इस पर पर्दे डाले जा रहे हैं।इसी वजह से छोटे से छोटे मामलों को भी उच्च न्यायालय में लाना पड़ रहा है।

उत्तराखंड राज्य में राज्य सरकार के प्रभाव व हस्तक्षेप से मुक्त ऐसी कोई भी जांच एजेंसी नही है जो घोटालेबाजों की निष्पक्ष जाँच कर सके…-रविशंकर जोशी याचिकाकर्ता

जनहित याचिकाकर्ता रविशंकर जोशी ने विजिलेंस और एस.आई.टी जैसी जांच एजेंसियों द्वारा NH-74 मुआवजा घोटाला, समाज कल्याण विभाग में छात्रवृत्ति घोटाला, स्वास्थ्य विभाग के एन.एच.एम में दवा खरीद घोटाले जैसे अनेकों प्रकरणों को ठंडे बस्ते में डालने का उदाहरण देते राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच एजेंसी के रूप में लोकायुक्त की नियुक्ति की मांग की गई। उन्होंने हाईकोर्ट को अवगत कराया कि वर्तमान में राज्य की सभी जांच एजेंसी सरकार के अधीन हैं। जिसका पूरा नियंत्रण राज्य के राजनैतिक नेतृत्व के हाथों में रहता है।
वर्तमान में उत्तराखंड राज्य में कोई भी ऐसी जांच एजेंसी नही है जिसके पास यह अधिकार हो की वह बिना शासन की पूर्वानुमति के किसी राजपत्रित अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार का मुकदमा पजीकृत कर सके या जांच का किसी न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर सके। इस लिए राज्य की विजिलेंस का भारतीय प्रशासनिक सेवा, राज्य प्रशासनिक सेवा के किसी अधिकारी या किसी शीर्ष राजनैतिक व्यक्ति पर कार्यवाही का कोई इतिहास नही है।कई बार तो जाँच के बीच में ही बिना उचित कारण के पूरी जांच एजेंसी को ही बदल दिया गया है।अब मामले की अगली सुनवाई 8 मई को होगी।