मेट्रोपोल से हटेगा अतिक्रमण….हाई कोर्ट के संज्ञान के बाद डीएम नैनीताल ने कहा रिपोर्ट के आधार पर करेंगे खाली..

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नैनीताल – नैनीताल में भारत सरकार की जमीन शत्रु संपत्ति पर कब्जे के मामले में जिला प्रशासन हरकत में आया है। साथ ही हाईकोर्ट ने भी जमीन पर अ‌वैध कब्जे का संज्ञान लेकर सरकार और डीएम नैनीताल से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने इन अवैध कब्जेदारों पर कार्रवाई नहीं होने से हैरानी भी जताई है। चीफ जस्टिस कोर्ट इस मामले में अब 17 मई यानि मंगलवार को सुनवाई करेगा। दरअसल नैनीताल में शत्रु संपत्ति की जमीन पर विशेष समुदाय के लोगों द्वारा कब्जा किया जा रहा है..इस मामले पर हाईकोर्ट वकील नितिन कार्की ने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की थी अपने पत्र में कार्की ने कहा है कि लगातार कब्जा होने से शहर की फिजा खराब हो रही है और बाहरी लोग भी जमीन पर कब्जा कर मकान दुकान बना रहे हैं। हांलाकि हाईकोर्ट के संज्ञान लेने के बाद जिला प्रशासन ने पूरी मामले की जांच शुरु कर दी है। नैनीताल डीएम धीराज गर्ब्याल ने कहा कि डीएम इस संपत्ति का कस्टोडियन वो खुद हैं और एसडीएम को जांच सौंपी है जैसे ही जांच रिपोर्ट आती है तो पूरी जमीन को खाली कराया जायेगा।

ये है शत्रु संपत्ति की जमीन….

दरअसल शहर के बीच मेट्रोपोल शत्रु सम्पत्ति है। केन्द्र सरकार के अधीन ये जमीन 11 हजार 385 वर्गमीटर में निर्माण है तो 22 हजार 489 वर्ग मीटर जमीन खाली पड़ी थी..करीब 90 करोड़ से ज्यादा की इस सम्पत्ति को राजा मोहम्मद अमीर अहमद खान निवासी महमूदाबाद जिला सीतापुर की यह संपत्ति 1965 में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रकाशित गजट के आधार पर शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया जिसके बाद से ही ये जमीन सरकार के अधीन है। हांलाकि इसके एक भाग पर जिला प्रशासन ने पार्किंग की अनुमति दी है तो नाले वाले क्षेत्र में लगातार कब्जा हो रहा है जिसमें 200 से ज्यादा टिनशेड का निर्माण किया जिसके बाद अब पक्के मकान तक इसमें बना दिये हैं।

पीएमओ तक पहुंचा है शत्रु सम्पत्ति का मामला..इसके कहते हैं शत्रुसंपत्ति..

दरअसल पिछले दिनों बाहरी लोगों को कब्जों के मामले प्रकाश में आने के बाद वकील नितिन कार्की ने पूरे मामले में पीएमओ को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा था कि तेजी से शत्रु संपत्ति की जमीन पर कब्जा बढता जा रहा है पत्र में कहा था की रामपुर स्वार मुरादाबाद डांड़ा के लोगों के साथ कुछ रोहिंग्या भी होने की आशंका है कई लोग दो दो पहचान पत्र बनाकर यहां रह रहे हैं जिन पर कार्रवाई की मांग की गई है। आपको बतादें कि 1947 में जब देश का बंटवारा हुआ उस वक्त पाकिस्तान जाने व 1962,1965 और 1971 में चीन पाकिस्तान के युद्ध के बाद वहां गये नागरिकों को सरकार शत्रु मानती है ऐसे नागरिकों की भारत में संपत्ति को शत्रु संपत्ति कहते हैं।