पर्यटन प्रदेश उत्तराखंड का ये कैसा विकास…देश दुनिया से अलग-थलग होने में नही लगेगा वक़्त…

147

झील नगरी नैनीताल में पहुँचने वाले मार्गों का कोई नही है सुधलेवा..कभी भी हो सकता है कोई बड़ा हादसा…

 

सरोवर नगरी नैनीताल में सैलानियों के आने के लिए मुख्यतः दो मार्ग हैं।हालांकि तीसरा रास्ता भीमताल,भवाली होकर भी यहाँ पहुँचता है।पर मुख्य दबाव कालाढूंगी-नैनीताल व हल्द्वानी-नैनीताल मार्ग पर ही होता है। वर्ष 2021 अक्टूबर में भयंकर बारिश होने के कारण उत्तराखंड में सबसे ज्यादा सड़कों को नुकसान जिला नैनीताल में हुआ था। ओखलकांडा से लेकर रामगढ़,गरमपानी,खैरना से रामनगर तक अनेक स्थान,गाँवों को जोड़ने वाली सड़कें आधी से लेकर ज्यादा बह गई थी। लेकिन अब तक जिला प्रशासन व उत्तराखंड शासन आँखें मूंदे पड़ा है।

खस्ता हाल हैं जिला मुख्यालय की प्रमुख सड़कें…

हल्द्वानी-नैनीताल मार्ग की बात करें या कालाढूंगी-नैनीताल की,कमोबेश दोनों ही मार्गों की स्थिति बहुत ज्यादा खराब है। अब क्योंकि सरकारी विभाग द्वारा नित्य भारी बारिश के अलर्ट जारी किये जा रहे हैं।पर किसी को भी नौ माह से ख़राब पड़े इन मार्गों की सुध नही है। खानापूर्ति करने के लिए थ्रेड से पूरी सड़क के खांचे खींच कर इति श्री कर ली गई है।जितनी जगह में सड़क बनाई जानी है।केवल उस पर डोर लगा दी गई है।अब डोर पर तो वाहन चलेंगे नही..?

इन मार्गों पर शासन व प्रशासन को है किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार…

9 माह पहले भारी बारिश से लैंड स्लाइड के चलते ध्वस्त हो चुकी इन सड़कों की मरम्मत न किये जाने के कारण ये मार्ग इस मानसूनी बारिश में और ज्यादा खतरनाक हो गए हैं।जिससे कभी भी जिला मुख्यालय का संपर्क देश-दुनिया से कट सकता है।या फिर ये टूटे हुए मार्ग किसी बड़ी दुर्घटना का कारण भी हो सकते हैं।

आपदा में कम समय में घटना स्थल पर पहुँचने के जिलाधिकारियों को राज्य सरकार का आदेश…

विगत दिनों मुख्यमंत्री उत्तराखंड पुष्कर सिंह धामी ने आपदा की स्थिति में प्रभावित क्षेत्रों में कम से कम समय में पहुँचने के आदेश राज्य के सभी जिलाधिकारियों को दिए थे।पर शायद पर्वतीय जिलों के जिलाधिकारियों ने केवल गर्दन हिला कर उक्त का समर्थन कर दिया।जबकि बड़ा सवाल यह है कि इन खस्ताहाल सड़कों की इस बारिश में टिके रहने की संभावना ही बहुत कम है।तो आपदा की स्थिति में कैसे समय पर जिला टीम आपदा स्थल तक पहुँचेगी। शायद जिला प्रशासन व राज्य सरकार को इन मार्गों पर किसी अनहोनी का इंतजार है।इसीलिए बरसाती सीज़न से पहले इन मार्गों की मरम्मत नही करवाई गई है।