मौसम का बिगड़ा चक्र..मई में हुई ठंडक तो जुलाई से सितंबर में पड़ेगी भीषण गर्मी…

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मौसम को फिलवक्त देखते हुए आमजन को ज्यादा खुश होने की जरूरत नही..वैज्ञानिकों की माने तो “अल नीनो” के प्रभाव के कारण आगे पड़ेगी भयंकर गर्मी…

भारतवर्ष में आजकल मई के महीने में भी पहाड़ों में जबरदस्त बर्फबारी हो रही है यहाँ तक कि देश के मैदानी भागों में भी 10℃ से 15℃ तक कमी आ गई है।कुलमिलाकर मौसम का मिज़ाज़ एकदम बढ़िया हो गया है।इसीलिए पहाड़ों पर घूमने आने वाले सैलानियों की भी कमी देखी जा रही है।अब एक बड़ा सवाल उठता है कि मई माह में भी गर्मी नही हो रही है इसका क्या कारण हो सकता है।तो आपको बता दें कि इस वर्ष भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के गर्म होने की संभावना बढ़ रही है। जिसे “अल नीनो” गतिविधि कहा जाता है।और इसका संबंध उच्च वैश्विक तापमान से होता है।तथा “अल नीनो”इफ़ेक्ट के कारण मौसम का चक्र भी बिगड़ जाता है।
जलवायु वैज्ञानिकों का मानना है कि “अल नीनो” के कारण वैश्विक तापमान में रिकॉर्ड बढ़ोतरी होगी। भारत में मानसून पर भी इसका असर पड़ने की संभावना है।जिससे जुलाई माह से सितंबर तक पूरी दुनिया को भीषण गर्मी का प्रकोप हो सकता है।बारिश की कमी व बढ़ती गर्मी से सूखे की स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन डब्ल्यू.एम.ओ ने बताया है कि अल नीनो अब जुलाई के अंत तक आ सकता है। डब्ल्यू.एम.ओ ने यह भी कहा है कि जुलाई में इसके आने की संभावना 60 प्रतिशत और सितंबर के अंत तक 80 प्रतिशत है। भारत में मॉनसून के दौरान अल नीनो की संभावना 70 प्रतिशत तक है।

पिछली “अल नीनो” की स्थिति में भारत में बारिश सामान्य ही रही थी इसलिए यहाँ हालात चिंताजनक नही रहेंगे..- मृत्युंजय महापात्रा आई.एम.डी के महानिदेशक…

देश के मौसम विज्ञान विभाग आई.एम.डी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कुछ दिन पूर्व स्वीकार किया था कि मॉनसून के दौरान “अल नीनो” की स्थिति बन सकती है। और इसका प्रभाव मॉनसून के दूसरे भाग में महसूस किया जा सकता है। महापात्रा ने कहा था कि वर्ष 1951-2022 के बीच जितने साल भी “अल नीनो” सक्रिय रहा है। वे सभी वर्ष मॉनसून के लिहाज़ से खराब नहीं थे। उन्होंने कहा कि इन वर्षों में अल नीनो के प्रभाव वाले लगभग 15 साल थे और उनमें से 6 में ‘सामान्य’ से लेकर ‘सामान्य से अधिक वर्षा हुई।इसलिए भारत में हालात चिंताजनक नही रहने की पूर्ण संभावना है।