हुनर हो तो ऐसा…अपनी कमजोरी को हथियार बना रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी के राज्य के बच्चे….उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री ने भी बढाया हौंसाल…

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नैनीताल – अगर उड़ान भरनी हो तो पंखों के साथ हौंसला और जज्बा भी जरुरी है…ऐसा ही कर रहे गुजरात के मूक बधिर बच्चे जो बोल और सुन तो नहीं सकते लेकिन जुनून इस कदर है कि पहाड़ में चुनौतियों से पार पाने की क्लास ले रहे हैं।

हर मुश्किलों को पार करने की ले रहे हैं ट्रेनिंग..

दरअसल गुजरात अहमदाबाद के ये बच्चे नैनीताल में मुश्किल वक्त में जीने की कला सीख रहे हैं। ये बच्चे स्पेशल इस लिये हैं कि ना तो ये बोल सकते हैं और ना ही सुन सकते हैं बावजूद इसके हौंसला सामान्य से कुछ भी कम नहीं है। 23 बच्चों का ये ग्रुप ने नैनीताल में ट्रेकिंग के साथ राँक क्लाइंबिंग,रिवर क्रासिंग, जीप लाइन के साथ रैपलिंग की ट्रेनिंग ली है तो पहाड़ में पहाड़ जैसी चुनौतियों को पार करने के जोश भी इन बच्चों में पैदा हो रहा है। हांलाकि ये सब कुछ करने के बाद ये बोल तो नहीं सकते लेकिन इनकी उर्जा इनको हौंसाला दे रही है। गुजरात से आए इस दल के टीचर डाक्टर महेन्द्र संघपाल कहते हैं कि इन बच्चों को इस तरह की ट्रेनिंग देने से उनके आत्मविश्वास में बढोतरी होती है और पहले जरुर ड़र रहे थे लेकिन इनको लगता है कि वो भी कर सकते हैं 4 दिनों से अलग अलग स्थानों पर इनको ऐसा ही ट्रेनिंग दी गई है ताकि ये बच्चें आपदा के वक्त खुद को बचाने के साथ लोगों को भी सुरक्षित निकाल सकें।

मुख्यमंत्री से भी बच्चों की हुई मुलाकात..

दरअसल ये बच्चे नैनीताल घूमने आये थे तो पिछले दिनों इन्हौने राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी से भी मुलाकात की इस दौरान मुख्यमंत्री ने इन बच्चों का हौंसला बढाया और अपनी कमजोरी को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाने को कहा.. जिसके बाद अगल अलग एक्टिविटी में इन बच्चों को संघर्ष के दौरान चुनौतियों से पास पाने की क्लास दी गई तो इनके भीतर जंगलों में मुश्किल वक्त में कैसे जीना है इसका हौंसला भी भरा गया..हांलाकि इन स्पेशल बच्चों को पहाड़ की सीख दे रहे ट्रेनर भी इनके हौंसले से उत्साहित हैं। ट्रेनर हरीश बिष्ट कहते हैं कि इस तहत के जो बच्चे होते हैं उनमें कैचिंग पावर ज्यादा होती है और ये अनुशासन का पूरा पालन करते हैं ऐसे बच्चों को सिखाने में उनको ज्यादा अच्छा लगता है इन बच्चों ने भी जो सीखा है मुश्किल वक्त में उनके काम जरुर आएगा।