कूड़े से हैं परेशान तो सीधे हाई कोर्ट रजिस्ट्रार को करें शिकायत…. [email protected] पर दर्ज शिकायत का 2 दिन में होगा समाधान….कमिश्नर गावँ गावँ जनकार डीएम के साथ उठाएंगे कूड़ा नहीं तो होगी कंटेप्ट ऑफ कोर्ट

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नैनीताल – राज्य में प्लास्टिक बैन पर हाईकोर्ट पर गम्भीर है..राज्य में डीएम द्वारा आदेशों का पालन सही से नहीं करने पर अब कमिश्नर को जिम्मेदारी दी गई है। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि अब जनता कूड़े के निस्तारण को लेकर अपनी शिकायत [email protected]
ईमेल आईडी के जरिये भेजेंगे रजिस्ट्रार जनरल हर दिन इस शिकायत को 4 बजे उत्तराखण्ड रेंज के दोनों कमिश्नरों को भेंजेगे। कुमाऊँ और गढवाल कमिश्नर को 2 दिन के भीतर शिकायत का समाधान कर रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करेंगे। कोर्ट ने गम्भीरता से कहा है कि राज्य में लागू कूड़ा निस्तारण नियमावली का अनुपालन कर अगली यानि 24 नवम्बर तक रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करें। कमिश्नर को आदेश दिए हैं कि दोनों रेंज के डीएम को लेकर गांव गांव का भौतिक निरिक्षण करें और इन गांवों में कूड़ा निस्तारण के साथ अन्य सुविधा देने के बाद रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करें..कोर्ट ने डीएम द्वारा पूर्व में आदेशों का पालन नहीं करने पर कहा कि कोर्ट इस मामले में गम्भीर है और वक्त आ गया है कि ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

आपको बतादें की अल्मोड़ा के जितेंद्र यादव की जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने राज्य में प्लास्टिक बैन करने का आदेश दिया था कोर्ट ने अपने आदेश मे कहा था कि जो प्लास्टिक निर्माता कंपनी को राज्य प्रदूषण बोर्ड में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा ऐसा नहीं करने पर उसके उत्पादों को राज्य में बैन किया जाए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि इन कंपनियों को नगर निगम,पालिकाओं और ग्राम पंचायतों को भी प्लास्टिक निस्तारण के लिए पैंसा भी देना होगा। इस मामले में वकील दुष्यंत मैनाली ने कोर्ट को बताया कि जो पूर्व में आदेश दिए थे उनका अनुपालन जमीनी स्तर पर नहीं हुआ है जो स्वच्छता सर्वेक्षण भारत सरकार ने जारी किया है उसमें उत्तराखंड के शहरों की स्थिति खराब है और सबसे गंदा शहर उत्तराखंड में ही हैं,, और जो बड़े शहरों की रैंकिंग हुई उसमें भी सबसे गंदे शहर उत्तराखंड में ही हैं बातें जब सुनवाई के दौरान सामने आई तो कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और कमिश्नरों को डीएम के साथ मिलकर गावँ गावँ जाने के निर्देश दिए हैं।