छात्र संघ चुनावों को लेकर अपड़ेट… हाईकोर्ट की टिप्पणी कहा सरकार अपने शासनादेश को वापस लेने के लिये स्वतंत्र.. यूजीसी और लिंगदोह के मानकों के उलंघन पर मांगा सरकार से जवाब…

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नैनीताल – राज्य में छात्र संघों के चुनावों को लेकर हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई है..आज हाईकोर्ट की एकपीठ में मामला सुनवाई के लिये आया जिसके बाद कोर्ट ने यूजीसी और लिंगदोह के मानकों के उलंघन में जारी शासनादेश पर जवाब मांगा है। कोर्ट ने सरकार को 2 हफ्तों का समय दिया है और जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। हांलाकि इस दौरान कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी भी की है कि सरकार चाहे तो अपने शासनादेश पर पुनर्विचार करने के लिये स्वतंत्र है।
हाईकोर्ट की एकलपीठ में सुनवाई के दौरान सरकार के अधिवक्ताओं ने याचिका का विरोध किया और कहा कि छात्र संघ चुनाव 6 से 8 हफ्तों के बीच होने चाहिये थे लेकिन इसके जवाब में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि प्रवेश से लेकर परीक्षाओं तक सब देरी से हो रहा है और शासनादेश का पालन नहीं हो रहा है तो सिर्फ छात्र संघ चुनाव पर भी ये शासनादेश लागू क्यों…

ये याचिका में उठाए हैं सवाल पिछली सुनवाई को कोर्ट के संवैधानिक सवाल

गौरतलब है कि गोपेश्वर के किशन सिंह ने याचिका दाखिल कर सरकार के 23 अप्रैल 2024 के शासनादेश को चुनौती दी है और इसको यूजीसी के मानकों का उलंघन बताया है। हांलाकि कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान कई संवैधानिक सवाल उठाए थे और सरकार से पूछा था कि क्या सरकार किसी आदेश से लिंग दोह की सिफारिशों को बांध सकती है। कोर्ट ने कहा जब अक्टूबर 2024 तक प्रवेश हुए है और सत्र प्रारंभ माना जाए तो लिंगदोह की शिफारिसों के तहत 8 हफ़्तों की चुनाव कराने की कोई बाध्यता कहाँ है। यूजीसी के नियमों में विश्वविद्यालय का अकादमिक कलैंडर है लेकिन कैसे सरकार ने विश्वविद्यालयों के एकेडमिक कलैंडर जारी किया है वो भी यूजीसी के नियमों का उलंघन तो नहीं। जब लिंगदोह कमेटी की शिफारिसों में स्पष्ट तौर पर दर्ज है कि स्हैर संघ चुनाव का नियंत्रण या तो लोकसभा विधानसभा पारित अधिनियम यविश्वविद्यालय द्वारा पारित नियमावली से हो सकता है तो सरकार का जीओ कैसा। किशन सिंह के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि 23 अप्रैल के शासनादेश को चुनौती दी गई है और आज सुनवाई के दौरान कई सवाल उठाए हैं और यूजीसी और लिंगदोह के अनुरुप शासनादेश नहीं है क्योकि कई दिनों बाद 25 अक्टूबर तक भी प्रवेश हुए हैं जिसके चलते अब भी लिंगदोह का उलंघन नहीं है जिसको लेकर कोर्ट ने सचिव उच्च शिक्षा से शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है ।