@मानव वन्य जिव संघर्ष हाई कोर्ट ने रोकथाम के लिए कदम उठाने के लिए दिए दिशा निर्देश…. ★प्रमुख सचिव वन आर के सुधांशु की हुई दूसरी बार पेशी…. ★रिपोर्ट ( सुनील भारती )”स्टार खबर” नैनीताल…..

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@मानव वन्य जिव संघर्ष हाई कोर्ट ने रोकथाम के लिए कदम उठाने के लिए दिए दिशा निर्देश….

★प्रमुख सचिव वन आर के सुधांशु की हुई दूसरी बार पेशी….

★रिपोर्ट ( सुनील भारती )”स्टार खबर” नैनीताल…..

पौड़ी गढवाल निवासी अनु पंत द्वारा दाखिल मानव वन्य -जीव संघर्ष के रोकथाम पर सरकारी विफलता के सम्बन्ध में जनहित याचिका पर आज विस्तृत सुनवाई के पश्चात, माननीय उच्च न्यायालय की खंड पीठ ने सरकार को दिशा निर्देश दिए है। बात दे कि 14 जून 2023 को माननीय उच्च न्यायालय में प्रमुख सचिव आरo केo सुधांशु की उपस्थित में उनको हर जिले में वेटरनरी डॉक्टर उपलब्ध कराने को कहा गया था और साथ ही लंबित पड़ी भुगतान की याचिकाओं को जल्द से जल्द निस्तारित करने के लिए कहा गया था। आज,वर्चुअल मोड से उपस्थित हुए सुधांशु ने माननीय न्यायालय से गुहार लगाई की सरकार द्वारा पर्याप्त कदम उठा लिए गए है और अब इस याचिका को बंद कर दिया जाए। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अभिजय नेगी ने न्यायालय के सामने एक विस्तृत शपथ पत्र प्रस्तुत किया जिसमे तमिलनाडु के अन्नामलाई टाइगर कंज़र्वेशन प्लान, राजस्थान के सरिस्का टाइगर कंज़र्वेशन प्लान और दुधवा के टाइगर कंज़र्वेशन प्लान उत्तरप्रदेश के माध्यम से यह बताया गया की किस तरह अन्य राज्य इस प्लान के माध्यम से मानव वन्य जीव संघर्ष की रोकथाम कर रहे है परन्तु उत्तराखंड के राजाजी टाइगर रिज़र्व में अभी तक कोई कंज़र्वेशन प्लान ही नहीं बना है। इस बात पर भी जोर दिया गया की यह टाइगर रिज़र्व वर्ष 2015 में नोटिफाई होने के बावजूद, राज्य सरकार द्वारा आठ वर्षो तक इसका कोई प्लान ही नहीं बनाया गया है, जिससे मानव वन्य जीव संघर्ष में बढ़ोतरी हो रही है। उच्च न्यायालय ने आर के सुधांशु को निर्देशित किया की वह ये प्लान जल्द से जल्द तैयार करें, जिसपर सुधांशु द्वारा न्यायालय में यह कहा गया की दो महीने के अंदर यह प्लॉन राज्य सरकार की और से तैयार करके केंद्र सरकार को प्रेषित कर दिया जाएगा।इसके साथ, याचिकाकर्ता ने उत्तराखंड के चौदह एनिमल / हाथी / बाघ के कॉरिडोर के सम्बन्ध में एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करी जिसमे बताया गया की कैसे इन कॉरिडोर के चारो तरफ अतिक्रमण पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है जिस वजह से जंगली जानवर इन क्षेत्रों से बाहर आकर आबादी वाले क्षेत्रों में घुस रहे है जो मानव और जंगली जानवर दोनों के लिए सही नही है उच्च न्यायालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए सरकार से याचिकाकर्ता द्वारा प्रेषित इस विस्तृत सम्बंधित कॉरिडोर रिपोर्ट पर जवाब देने के लिए कहा है ,और वर्तमान स्थिति की जानकारी देने को कहा ।इस कॉरिडोर में लाल ढांग, चिल्लर खाल, राजाजी कोर्बेट, बड़कोट समेत पुरे सूबे के कई क्षेत्र शामिल है, इन कॉरिडोर के सक्रिय होने से मानव वन्य जीवो के बीच संघर्ष में कमी आएगी।
याचिकर्ता के उस कथन को भी माननीय उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में शामिल किया है, जहां तमिल नाडु में किस प्रकार उनकी सार्वजनिक वेबसाइट में ही सारी जानकारी सभी लोगो के साथ सांझा करी जाती है। केरल में मानव वन्य जिव संघर्ष के पीड़ितों के भुगतान की व्यवस्था ऑनलाइन करी गयी है। उच्च न्यायायलय ने सरकार से कहा है की इन सभी सुझावों को एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देखते हुए एक विस्तृत शपथ पत्र में सरकार द्वारा उठाये गए ठोस क़दमों से उच्च न्यायालय को अवगत कराएं। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर 2023 को चिन्हित की गयी है। उम्मीद है की इस आदेश के बाद सरकार द्वारा किए गए प्रयासों से मानव व वन्य जीवो के आपसी संघर्ष के रोकथाम के लिए कार्य करेगी।