मुश्किल है इस बार राज्य में छात्र संघ चुनाव..हाईकोर्ट ने सरकार के स्टेट्मेंट के बाद सरकार के जीओ को किया कन्फर्म.…सरकार ने 30 सितंबर की ही बाध्यता बताई अब छात्र संगठनों का क्या…

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नैनीताल – राज्य में इस बार छात्र संघ चुनावों पर हाईकोर्ट ने अपना निर्णय दे दिया है। हाईकोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है और सरकार के जीओ पर मुहर लगा दी है। सरकार ने कोर्ट में बताया कि उनका 23 अप्रैल 2024 का एक जीओ है जिसमें 30 सितंबर तक चुनाव कराए जाने थे। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जो सरकार का जीओ था जिसमें 30 सितंबर तक चुनाव कराने थे और सरकार ने कहा कि वो चुनाव नहीं करा सके और अब चुनाव मुश्किल है। हांलाकि जानकार मान रहे हैं कि कोर्ट के आज के आदेश से स्पष्ट हो रहा है कि अब छात्र संघ चुनाव नहीं हो सकेंगे अगर चुनाव राज्य में छात्रों के सरकार कराना चाहती है तो या तो अपना जीओ को ही निरस्त करें या फिर हाईकोर्ट में रिव्यू दाखिल करें या तो सुप्रीम कोर्ट इस आदेश के खिलाफ जाएं।

आपको बतादें कि इस बार लिंग दोह कमेटी की गाइड़लाइन के तहत चुनाव नहीं हो सके हैं तो सरकार भी छात्र संघ चुनाव कराने में नाकाम ही रही है। वहीं छात्र नेता आन्दोलन पर हैं श्रीदेव सुमन गढवाल विश्वविघालय ने अपना परीक्षा कार्यक्रम चुनाव से पहले जारी कर दिया..इन सभी को लेकर महिपाल सिंह हाईकोर्ट पहुंच गये और छात्र संघ चुनावों को इस बार निरस्त करने की मांग कोर्ट के सामने रख दी। याचिका में कहा गया कि कालेजों में अब परीक्षा के वक्त चुनाव की सुगबुगाहट है और राज्य सरकार ने तय सीमा में चुनाव नहीं कराए हैं लिंग दोह कमेटी की तहत 6 से 8 हफ्तों में चुनाव होने थे जिसके लिये 30 सितंबर की डेटलाइन रखी गई थी। छात्रों के भविष्य को देखते हुए चुनावों को निरस्त करने की मांग कोर्ट के सामने रखी गई थी। वहीं इस मामले में अधिवक्ता एमसी पंत ने कहा कि सरकार की मंशा पहले से ही नहीं थी और सरकार लोकतांत्रिक व्यस्थाओं को खत्म करने में लगी है। शैक्षणिक सत्र जब जुलाई में शुरु हो गया था तो 30 सितंबर तक चुनाव हो जाने चाहिये थे। हमारा मुद्दा था कि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें जो थी उनको लागू किया जाए..सवाल पूछे जाने पर क्या इस आदेश के तहत चुनाव हो सकेंगे इस पर अधिवक्ता एमसी पंत ने कहा कि नहीं हो सकते हैं क्योंकि सरकार ने खुद कोर्ट में स्टेटमेंट दे दिया है हम उसके तहत चुनाव नहीं करा सके है…वहीं अधिवक्ता डीएस मेहता ने कहा कि पिछले सालों में नवम्बर महिने में चुनाव कराए थे और कोर्ट ने खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं कि है तो सरकार चुनाव करा सकती है और नहीं भी करा सकती है। सरकार ने कोर्ट में बताया है कि 30 सितंबर ही लाष्ट डेट थी उसकी को कोर्ट ने आधार बनाया है।