गोल्ज्यू संदेश यात्रा में मिले सुझावों से निकलेगा पहाड़ में विकास का रास्ता…सरकार को सौंपी जाएगी रिपोर्ट…

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नैनीताल – पहाड़ की गोल्ज्यू संदेश यात्रा अपने अंतिम पढाव में पहुंच गयी है। मुनस्यारी के बौना गांव से 24 अप्रैल को शुरु यात्रा 2200 किलोमीटर पूरी कर नैनीताल होते हुए घोड़ाखाल मन्दिर पहुंचेगी जिसके बाद कल पूजा पाठ के बाद इस यात्रा का समापन हो जायेगा। नैनीताल में आज गोल्ज्यू संदेश यात्रा का स्थानीय लोगों ने स्वागत किया इस दौरान पहाड़ा की संस्कृति देखने को मिली..नैनीताल में स्कूली बच्चों ने रंगारंग झांकिया निकाली और पर्यावरण व गांव बचाने का भी संदेश दिया…नैनीताल पहुंचने से पहले ये यात्रा 150 गांव से होक गुजरी जिसमें 22 सालों में उत्तराखण्ड में रोजगार पलायन जैसे मुद्दों पर गोल्ज्यू पंचायत के जरिये रिपोर्ट तैयार की है जिसको सरकार को सौंपा जायेगा।

गोल्ज्यू पंचायत के जरिय सुनी समस्याएं…

दरअसल गोल्ज्यू संदेश यात्रा 150 गांवों से होकर गुजरी इस दौरान गांव में गोल्ज्यू पंतायतों को भी लगाया गया और लोगों की समस्या सुनी गई यात्रा के दौरान लोगों द्वारा दिये सुझावों पर अब कल यात्रा के समापन के बाद एक रिपोर्ट तैयार होगी जिसको सरकार को सौंपा जायेगा..राज्य की संस्कृति संरक्षण और संवर्धन के लिये आयोजित इस यात्रा के दौरान पर्यटन रोजगार धार्मिक आस्था के साथ जगरिये और लोहार मूर्तिकारों को एक पहचान देना भी है। यात्रा संयोजक गणेश मर्तोलिया कहते हैं कि उत्तराखण्ड की संस्कृति के संवर्धन के लिये यात्रा थी 22 सालों में क्या पाया क्या खोया इस पर काम किया गया है इसका पेपर तैयार कर जल्द अपने काम को आगे बढायेंगे और जो मदद लोगों को उनकी ओर से होगी उसका हर संभव प्रयास किया जायेगा।

न्याय के देवता हैं पहाड़ में गोल्ज्यू…

दरअसल गोल्ज्यू पहाड़ में न्याय के देवता के रुप में पूजते हैं..कहा जाता है कि हर जगह से थका हारा इंसान अगर गोल्ज्यू की सरण में चला जाए तो उसकी मनोकामना हमेशा पूरी होती है…न्याय के प्रतीक के तौर पर इनकी पूजा होती है तो चम्पावत अल्मोड़ा और नैनीताल के घोड़ाखाल में इनके मन्दिर खासा प्रचलित हैं और साल भर आस्था लेकर यहां लोग आते हैं..कहा जाता है कि गोल्ज्यू के दरबार में सिर्फ एक अर्जी लाने से ही सभी कामना पूर्ण होती हैं। श्रद्धालु भगवान के नाम पत्र लिखते हैं. कुछ तो बकायदा स्टांप के साथ पत्र को संलग्न करते हैं कि वें मन्नत पूरा होने के बाद यहां भगवान को घंटी अर्पित करेंगे. मंदिर के सीढ़ियों से लेकर पूरे मंदिर प्रांगण में आपको हजारों घंटियां और पत्र देखने को मिल जाएंगी. यहां आने वाले श्रद्धालु केवल उत्तराखण्ड के नहीं होते, यहां देश के कोने-कोने से हर रोज हजारों श्रद्धालु भगवान के दरबार में चिट्ठियों की अर्जियां लगाने आते हैं.